विशाल भटनागर/मेरठ:अगर आप भी चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से संबंधित किसी भी कोर्स में एडमिशन ले रहे हैं और अन्य राज्यों से ताल्लुक रखते हैं तो ऐसे सभी स्टूडेंट बेहद सावधान हो जाए. क्योंकि विश्वविद्यालय के नाम पर उत्तर पूर्व के कई राज्यों में फर्जी माध्यम से इंस्टिट्यूट चलाए जा रहे हैं. जिसमें छात्रों को फर्जी डिग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है. जिसकी सत्यता की जानकारी विश्वविद्यालय में आने वाली डिग्रियों में चल रही है. दरअसल, पिछले कई सालों से देखने को मिला है. जब युवा सरकारी नौकरी पर जाते हैं उनकी डिग्री वेरिफिकेशन के लिए विश्वविद्यालय भेजी जाती है तो उसमें वह फर्जी पाई जाती है.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुल सचिव धीरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय में जब सरकारी नौकरी या मल्टीनेशनल कंपनी में चयनित होने वाले युवाओं की डिग्रियां वेरिफिकेशन के लिए आती है तो उसमें कुछ डिग्रियां हर साल फर्जी निकलती हैं. इसीलिए स्टूडेंट अपने भविष्य को देखते हुए अगर विश्वविद्यालय से संबंधित किसी भी कोर्स में एडमिशन ले रहे हैं तो स्टूडेंट कोर्स में इंस्टीट्यूट की अच्छे से विश्वविद्यालय के मुख्य वेबसाइट पर जांच कर लें. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की मुख्य वेबसाइट पर संबंधित कॉलेज एवं उनमें चलने वाले सभी कोर्स की पूर्ण जानकारी उपलब्ध है.
इस तरह देखने को मिल रहे हैं मामलेकुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले से नौ नर्सिंग स्टूडेंट की डिग्री की जांच की गई. तो वह विश्वविद्यालय में फर्जी पाई गई थी. इसी तरह से बेंगलुरु में चार युवा फर्जी डिग्री के माध्यम से ही असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए थे. जिसकी जानकारी विजिलेंस की टीम द्वारा सीसीएसयू में की गई थी. इसी तरीके से इंफाल. पंजाब सहित अन्य राज्यों में भी बड़ी संख्या में स्टूडेंट को इसी तरीके से फर्जी डिग्री कराई जा रही है.
50 से ज्यादा डिग्री फर्जीबताते चलें कि हर साल विश्वविद्यालय में वेरिफिकेशन के लिए पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश सहित उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों से आने वाली डिग्रियों में लगभग 50 से अधिक ऐसी डिग्रियां फर्जी पाई जाती है. जिनके खिलाफ विश्वविद्यालय द्वारा नियम अनुसार कार्रवाई की जाती है.
.Tags: Fake documents, Local18FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 10:08 IST
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