Ind vs Ban Test Series : चेपॉक में बांग्लादेश के खिलाफ टीम इंडिया का पलड़ा हावी रहा और मेहमान टीम को 280 रनों से हराकर भारत ने दो टेस्ट मैचों की सीरीज पर 1-0 से बढ़त बनाई. हालांकि, जीत के बावजूद भी बीसीसीआई और रोहित ब्रिगेड सवालों के कटघरे में खड़ी है. खास तौर पर विराट कोहली और रोहित शर्मा की फॉर्म पर सवाल उठाए गए हैं. यह सवाल उठाया है पूर्व भारतीय क्रिकेटर और एनालिस्ट संजय मांजरेकर ने. उनका कहना है कि BCCI विराट कोहली और रोहित शर्मा को स्पेशल ट्रीटमेंट क्यों दे रही है. साथ ही उनकी माने तो इन दोनों दिग्गज क्रिकेटरों को ब्रेक की बजाय इस टेस्ट सीरीज से पहले दलीप ट्रॉफी खेलनी चाहिए थी.
नहीं चला रोहित-विराट का बल्ला
मांजरेकर का ये कमेंट बांग्लादेश के खिलाफ चेपॉक टेस्ट के बाद आया है, जहां विराट और रोहित का बल्ला दोनों पारियों में खामोश रहा. हालांकि, टीम के अन्य खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया और जीत हासिल की. चेपॉक टेस्ट में रोहित शर्मा के बल्ले से कुल 11 रन आए, जबकि विराट के बल्ले से कुल 21 रन बने. दोनों बल्लेबाजों को दलीप ट्रॉफी में खेलने से छूट दी गई थी और मांजरेकर ने बीसीसीआई द्वारा दोनों के प्रति इस रवैये की आलोचना की. उन्होंने कहा है कि टूर्नामेंट में उनके न खेलने से भारतीय क्रिकेट को नुकसान पहुंचा है.
ये भी पढ़ें : कानपुर टेस्ट को यादगार बनाना चाहेंगे कोहली, बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड; ब्रैडमैन पिछड़ेंगे!
‘स्पेशल ट्रीटमेंट से बचाना चाहिए’
मांजरेकर ने ईएसपीएन क्रिकइन्फो से कहा, ‘मैं चिंतित नहीं हूं, लेकिन मुझे यकीन है कि किसी ने इस बात ध्यान दिया होगा कि अगर वे रेड बॉल क्रिकेट खेलते तो उनका प्रदर्शन बेहतर हो सकता था. उनके पास दलीप ट्रॉफी चुनने का विकल्प था.’उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए हमें कुछ खिलाड़ियों के साथ स्पेशल ट्रीटमेंट से बचना चाहिए था. उन्हें भारतीय क्रिकेट और खिलाड़ी के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन देखना चाहिए. विराट और रोहित का दलीप ट्रॉफी नहीं खेलना भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं था. न ही यह दोनों खिलाड़ियों के लिए अच्छा था. अगर वे दलीप ट्रॉफी खेलते और रेड बॉल क्रिकेट में कुछ समय बिताते, तो चीजें अलग होतीं.’
ये भी पढ़ें : IPL 2025 मेगा ऑक्शन से पहले होगा बड़ा ऐलान, प्लेयर रिटेंशन को लेकर सामने आया ये अपडेट
‘बेशक आइकॉनिक खिलाड़ी लेकिन…’
मांजरेकर ने कहा कि दोनों ही भारतीय क्रिकेट के बड़े खिलाड़ी हैं. इस बात में कोई शक नहीं है. फॉर्म हासिल करना उनके लिए बड़ी चुनौती नहीं है, लेकिन रेड बॉल क्रिकेट काफी सीमित हो गई है. ये दोनों बेशक आइकॉनिक खिलाड़ी हैं, लेकिन है तो इंसान ही. अगर उन्होंने रेड बॉल के साथ थोड़ा समय बिताया होता तो नतीजे बेहतर होते. कई पूर्व क्रिकेटरों ने स्टार भारतीय क्रिकेटरों के घरेलू सर्किट में नहीं खेलने पर चिंता जताई है.