बासमती धान में न करें इस उर्वरक का प्रयोग…रखें कुछ खास बातों का ध्यान, होगा बंपर उत्पादन

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बासमती धान में न करें इस उर्वरक का प्रयोग...रखें कुछ खास बातों का ध्यान, होगा बंपर उत्पादन

रायबरेली. बासमती धान का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. बासमती धान से तैयार होने वाला चावल खाने में बेहद स्वादिष्ट एवं देखने में बेहद सुंदर होता है. हमारे देश में बड़े पैमाने पर किसान बासमती धान की खेती करते हैं. यह चावल विदेशों में निर्यात भी किया जाता है. बासमती धान की खेती से किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. किसानों को मोटे धान के मुकाबले बासमती धान का अच्छा भाव मिलता है. जिससे किसानों की आमदनी बढ़ती है लेकिन बासमती धान की खेती करते समय किसानों को कोई सावधानियां बरतनी की जरूरत है, अन्यथा उनकी फसल बर्बाद हो सकती है.कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा (बीएससी एजी डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद) बताते हैं कि बासमती धान की खेती करने वाले किसान कुछ खास टिप्स अपना कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं .दरअसल जुलाई के महीने में धान की रोपाई हो चुकी है. अब किसानों को धान की फसल से अच्छी उपज लेने के लिए उसमें उचित समय पर उर्वरक एवं सिंचाई के साथ ही खरपतवार प्रबंधन का विशेष ध्यान देना होगा. जिससे फसल को समय पर सभी पोषक तत्व मिल जाए .और खेत में खरपतवार ना हो जिससे पौधे का विकास अच्छा हो सके.इस उर्वरक का न करें प्रयोगशिव शंकर वर्मा बताते हैं कि बासमती धान से अधिक पैदावार के लिए किसान समय पर फसल में उर्वरक का छिड़काव करें एवं खेत में पानी समय-समय पर देते रहे. पौध की रोपाई के 20 से 25 दिन बाद खेत में उर्वरक का प्रयोग करें. बासमती धान की फसल तैयार करने के लिए ज्यादा नाइट्रोजन की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि बासमती के पौधे तेजी के साथ बढ़वार करते हैं. ऐसे में एक एकड़ में 40 किलो यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा 50 किलो डीएपी और 25 से 30 किलो पोटाश का इस्तेमाल करें. साथ ही रोपाई के समय से ही खेत में 2 से 3 सेंटीमीटर जल बना रहे. खेत में पानी की कमी न होने दें. फसल रोपाई के 30 दिन तक खेत में पानी की उचित व्यवस्था करते रहे. जिससे फसल में खरपतवार नियंत्रण और बाली निकलने में सहायता मिलेगी.इन बातों का रखें ध्यान?शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि बासमती धान की फसल की दो बार निराई करें. जिससे खेत में खरपतवार नियंत्रित रहे .यदि रोग लगने की आशंका बढ़ती है तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह पर उचित कीटनाशक का प्रयोग करें. बासमती धान की फसल में ज्यादा नाइट्रोजन डालने से पौधों की बढ़वार ज्यादा होती है. पौधों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है. जिसकी वजह से कीट इसको बेहद पसंद करते हैं. पौधों की बढ़वार ज्यादा होने की वजह से तेज हवा के दौरान फसल गिर सकती है. गुणवत्ता में गिरावट आएगी और उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ेगाFIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 15:04 IST

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