बाराबंकी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली से पहले ‘वोकल फॉर लोकल’ का नारा एकबार फिर बुलंद किया है. इसी क्रम में बाराबंकी के एक सरकारी स्कूल के शिक्षकों और बच्चों ने भी अनूठी पहल की है. इस स्कूल के शिक्षक कुम्हारों से दीये खरीदकर उसे बच्चों से डेकोरेट करा रहे हैं. साथ ही वेस्ट मेटेरियल जैसे मिठाई के डिब्बों और चॉकलेट के डिब्बों को सजाकर उसमें दीये रख रहे हैं. फिर गांव के लोगों को दीये दिए जा रहे हैं. शिक्षकों और बच्चों की इस पहले से कुम्हार तो खुश हैं ही, गांव के लोग भी काफी उत्साहित हैं. शिक्षकों का कहना है कि इस काम में बच्चे काफी खुशी से अपनी भागीदारी निभा रहे हैं, साथ ही गांव के लोग भी इसे खुशी-खुशी ले रहे हैं. इससे कुम्हारों की आय भी बढ़ रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि वह उत्पादन, जिसमें देशवासियों का पसीना है, जिस उत्पादन में देश की मिट्टी की सुगंध है, वह मेरे लिए लोकल है. एक बार अगर हमारी आदत बन जाएगी तो देश की निर्मित चीजों को खरीदने से उत्पादन भी बढ़ेगा, रोजगार भी बढ़ेगा. गरीबों को काम भी मिलेगा और यह काम हम सब मिलकर कर सकते हैं. सभी के प्रयास से बहुत बड़ा परिवर्तन हमलोग ला सकते हैं. पीएम की इसी मुहिम में बाराबंकी के दोवा विकासखंड का कंपोजिट विद्यालय अटवटमऊ काफी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा है. यहां के शिक्षक और बच्चे कुम्हारों से दीये खरीदकर पहले उसे डेकोरेट कर रहे हैं, फिर बाकायदा खूबसूरती से तैयार किए गए बॉक्स में उन दीयों को रखकर गांव के लोगों तक पहुंचा रहे हैं. इन आकर्षक दीयों को गांव के लोग भी काफी खुश होकर खरीद रहे हैं. शिक्षकों और बच्चों की इस पहल से कुम्हारों की आय भी बढ़ी है और पीएम का ‘वोकल फॉर लोकल’ का नारा भी साकार हो रहा है.
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कंपोजिट विद्यालय अटवटमऊ के शिक्षक अनुज श्रीवास्तव ने बताया कि दीपावली के उपलक्ष्य पर मिट्टी के दीये खरीदे गए और इन्हें बच्चों के हवाले कर दिया गया. स्कूल में लोकल फॉर वोकल एक्टिविटी के दौरान इन बच्चों ने अपने हाथों से इन दीयों को विभिन्न रंगों में रंगा और सजाया. दीयों को सजाने के बाद अब इन्हें गांव के लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. गांव के लोग काफी उत्साहित होकर इन दीयों को खरीद रहे हैं. ये दीये लोगों तक पहुंचाकर स्कूल के बच्चे और हमलोग स्वदेशी सामान अपनाने का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं.
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शिक्षक का कहना है कि दीपावली पर बहुत सी विदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल होता है. पटाखे चलाकर प्रदूषण फैलाया जाता है, जबकि मिट्टी के दीये बनाने वालों की तरफ कोई ध्यान नहीं देता. एक समय में इन्हीं दीयों से घर रोशन किया जाता था. लोग फिर से इनकी तरफ अग्रसर हों और इनका अधिक से अधिक इस्तेमाल करें. इसलिए सभी को यही संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.
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