बांके बिहारी का दरबार जो बिजली से नहीं, घी और तेल से होता है रोशन

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बांके बिहारी का दरबार जो बिजली से नहीं, घी और तेल से होता है रोशन



सौरव पाल/वृंदावन का एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर है. जहां आज भी किसी भी प्रकार के आधुनिक यंत्र और बिजली का इस्तेमाल नहीं होता. इस मंदिर में सिर्फ घी और तेल के दीपकों से शाम के समय मंदिर में उजाला किया जाता है और यह विरजमान भगवान के भी दर्शन उसी दीपक की रोशनी में होते है. ऐसा अनूठा मंदिर है वृंदावन के परिक्रमा मार्ग पर देवरहा बाबा घाट के पास स्थित टटिया स्थान मंदिर जो की वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.

मंदिर के महंत ने बताया कि यह मंदिर हरिदास संप्रदाय से जुड़ा मंदिर है. हरिदास संप्रदाय के आठ आचार्य है. संप्रदाय के सातवें आचार्य जिनका नाम स्वामी ललित किशोर देव था. उन्होंने सन् 1758 और 1823 के बीच इस मंदिर के परिसर के अंदर बने एक वृक्ष के नीचे निवास किया ताकि एकांत में साधना की जा सके. वृक्ष के आस पास के क्षेत्र को बांस की पतली डंडियों से घेर लिया. जिसे ब्रज भाषा में टटिया बोला जाता है. जिसके बाद से इस स्थान का नाम टटिया स्थान पड़ गया.

मंदिर में नहीं होता बिजली का प्रयोगहरिदास संप्रदाय के सातवें गुरु स्वामी ललित किशोरी जी इस स्थान पर कृष्ण का ध्यान किया करते थे. जिस वजह से यह मंदिर वृंदावन में एकांत जगह पर स्थापित है. साथ ही आज भी यहां के साधु संत बेहद साधारण और सामान्य जीवन व्यतीत करते है. इस मंदिर में बिजली का बिलकुल भी प्रयोग नहीं होता है . यहां पंखे और बल्ब नही जलते है. शाम को घी और तेल के दीपक से मंदिर को रोशन किया जाता है. जिसे देख कर यहां आने वाले श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो जाते है.

कौन है हरिदास संप्रदाय के जनकटटिया स्थान मंदिर हरिदास संप्रदाय का मंदिर है. हरिदास संप्रदाय का जन्म तानसेन और बेजुबावरा के गुरु स्वामी श्री हरिदास ने किया था. स्वामी हरिदास जी महाराज संगीत कला में बेहद निपुण थे और वृंदावन के निधिवन में भगवान श्री कृष्ण का भजन किया करते थे. स्वामी हरिदासजी वो महतमा है जिन्होंने अपने सुरीले भजन से भगवान श्री बांके बिहारी जी को निधिवन में प्रकट किया था.

मंदिर में होता है शाम को शास्त्रीय गायनस्वामी हरिदास जी महाराज संगीत के बहुत बड़े ज्ञानी थे. उन्होंने अपनी यह कला अपने शिष्यों और अनुयाइयों को भी सिखाई और उसी संगीत कला को जीवित रखते हुए मंदिर में रोज शाम को शास्त्रीय संगीत और पद गायन टटिया स्थान के संतो की ओर से किया जाता है. यहां संतों में संगीत की ऐसी कला है, जिस वजह से कई बड़े शास्त्रीय कलाकार भी इस मंदिर में संतों से आशीर्वाद लेने आते है.
.Tags: Hindu Temple, Local18FIRST PUBLISHED : June 11, 2023, 15:39 IST



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