राजनीति में एक बार फिर ‘डीएनए’ चर्चा में है. इसे ताजा चर्चा में लाने वाले नेता हैं योगी आदित्यनाथ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और कट्टर हिंदूवादी छवि वाले भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ ने डीएनए (DNA) की बात करते हुए बांग्लादेश के मुसलमानों की तुलना बाबर से कर दी है और आगाह किया है कि ‘खतरा यहां भी है’.
सीएम योगी 5 दिसंबर को रामायण मेला का उद्घाटन करने अयोध्या पहुंचे थे. उन्होंने कहा, ‘500 साल पहले बाबर के एक सिपहसालार ने अयोध्या में जो काम किया था, जो काम सम्भल में किया था और जो आज बांग्लादेश में हो रहा है, तीनों की प्रकृति, तीनों का डीएनए एक जैसा है. गलतफहमी में मत रहना. अगर कोई मानता है कि बांग्लादेश में हो रहा है तो यहां भी बांटने वाले तत्व उनके लिए खड़े हैं…वे आपको बांटकर काटने का और कटवाने का पूरा इंतजाम भी कर रहे हैं.’
तो क्या डीएनए पर योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से अलग लाइन ले ली है? दिसंबर 2021 में राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था, ’40 हजार सालों से भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों का डीएनए एक समान रहा है…और मैं यह बात हवा में नहीं कह रहा हूं.’
भागवत की बात की वैज्ञानिक सत्यता पर भले ही सवाल उठें, लेकिन इसमें छिपा राजनीतिक संदेश अगर हम पढ़ना चाहें तो यही लगता है कि हिंदू-मुसलमान एक हैं- यानि एकता का संदेश. लेकिन योगी तो खुले आम हिंदू ध्रुवीकरण का संदेश दे रहे हैं.
सीएम योगी ने डीएनए का मुद्दा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का अपना नारा हिट होने के बाद उठाया है. उनका यह नारा पार्टी और उनके समर्थकों के बीच न केवल हिट हो गया है, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने प्रकारांतर से इस पर मुहर लगा दी है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जहां हिंदू एकता का हवाला देकर योगी के नारे को ‘वैधता’ प्रदान की, वहीं प्रधानमंत्री ने उनके नारे को थोड़ा परिमार्जित करते हुए अपना ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा देकर.
महाराष्ट्र में खूब चला योगी का नारामहाराष्ट्र के चुनाव में भी सीएम-पीएम के ये नारे खूब उछाले गए और वहां की चुनावी जीत का विश्लेषण करने वाले जीत के कारणों में से एक कारण इन नारों को भी मानते हैं. हालांकि, वही विश्लेषक यह भी कहते हैं कि झारखंड में यह नारा नहीं चला. जबकि, सच यह है कि इस नारे को बुलंद करने के लिए झारखंड में महाराष्ट्र से ज्यादा जोर लगाया गया था. झारखंड में यह नारा भले ही नहीं चला हो, लेकिन योगी आदित्यनाथ का संकेत साफ है कि 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में वह यही नारा चलाएंगे.
डीएनए सिक्वेंसिंग और राजनीतिडीएनए सीक्वेंसिंग विज्ञान की ऐसी नियामत है जिसने मानव इतिहास को नए सिरे से परिभाषित करने में अहम भूमिका निभाई है. लेकिन, इस वैज्ञानिक खोज का नेताओं ने दुरुपयोग भी खूब किया है. डेनमार्क में डेनिश पीपुल्स पार्टी के सहसंस्थापक पिया कियर्सगार्ड ने तो 2018 में डीएनए का ऐसा राजनीतिक इस्तेमाल किया था कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं का डीएनए टेस्ट कराने और उसके नतीजे टीवी पर दिखाने तक का ऐलान कर दिया था. वह ऐसा अपनी पार्टी को राष्ट्रवादियों की पार्टी साबित करने के लिए कर रहे थे.
अपने यहां डीएनए का राजनीतिक इस्तेमाल उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया है. लेकिन एक बार पहुंचते-पहुंचते रह गया था. 2015 का नरेंद्र मोदी-नीतीश प्रकरण याद करेंगे तो बात समझ में आ जाएगी. जिन्हें याद नहीं है, उनके लिए रिकॉल करा देता हूं.
21 अगस्त, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में एक चुनावी सभा कर रहे थे. उन्होंने कहा, “जीतन राम मांझी पर जुल्म हुआ तो मैं बेचैन हो गया. एक चाय वाले की थाली खींच ली, एक गरीब के बेटे की थाली खींच ली. लेकिन जब एक महादलित के बेटे का सबकुछ छीन लिया तब मुझे लगा कि शायद डीएनए में ही गड़बड़ है.” पीएम मोदी जीतन राम मांझी की बात कर रहे थे, जिन्होंने तब जनता दल (यूनाइटेड) और नीतीश कुमार से बगावत की थी और जो आज मोदी सरकार में मंत्री हैं.
तब नीतीश कुमार ने किया था खेलआज बार-बार प्रधानमंत्री के पैर छूने वाले नीतीश कुमार उन दिनों उनसे दो-दो हाथ कर रहे थे. कुमार ने पीएम मोदी के वार को ‘बिहार के आत्मसम्मान पर हमला’ बताते हुए पलटवार किया. एक चुनावी सभा में सीएम नीतीश बोले, ‘ये किसके डीएनए की बात कर रहे हैं? मैं कौन हूं? मैं कहां से आया हूं? मैं आपका हूं. ये बिहार के डीएनए पर ऊंगली उठाई गई है. जिनके पूर्वजों का देश की आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था वो हमारे डीएनए पर उंगली उठा रहे है.’
नीतीश और उनकी पार्टी ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया था. नीतीश ने पीएम मोदी के नाम खुला खत भी लिखा था. जनता दल (यूनाइटेड) ने आह्वान किया कि बिहारवासी डीएनए की जांच के लिए पीएम को सैंपल भिजवाएं. फिर क्या था! राज्य के तमाम इलाकों से नीतीश समर्थकों ने अपने नाख़ून और बाल के नमूने प्रधानमंत्री कार्यालय भेजने शुरू कर दिए थे. बोरियां भर-भर कर सैंपल्स प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भिजवाए गए थे. पीएमओ ने उन्हें रिसीव करने से इनकार कर दिया था.
‘बिहारी जीन’ भी खूब उछलाबीते साल दिसंबर के महीने में ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कथित तौर पर कहा था कि राज्य के पहले मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) में ‘बिहारी जीन’ है. जबकि उनका (रेवंत रेड्डी का) डीएनए तेलंगाना का है. उन्होंने कहा था, ‘केसीआर का डीएनए बिहार का है. वो बिहार के रहने वाले हैं. केसीआर की जाति कुर्मी है. वो बिहार से विजयनगरम और वहां से तेलंगाना आए थे. तेलंगाना का डीएनए बिहार के डीएनए से बेहतर है. रेड्डी के बयान पर भाजपा काफी आक्रामक हुई थी.
Tags: CM Yogi Adityanath, Cm yogi latest news, Sambhal News, UP newsFIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 23:49 IST