संजय यादव
बाराबंकी. केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार खेलकूद की प्रतिभाओं को निखारने के लिए लगातार प्रयासरत है. लेकिन खेल के कोच, सरकार जिन्हें लाखों रुपये प्रति माह वेतन देती है, खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने की जगह अपनी ड्यूटी से नदारद रहते हैं. इसके चलते खिलाड़ी बिना कोच के प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं और अपने खेल को निखारने में लगे हुए हैं. दरअसल बाराबंकी के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में तैनात बैडमिंटन कोच कभी कभार ही स्टेडियम पहुंचते हैं. यहां प्रशिक्षण लेने के लिए छात्र कोच का इंतजार करते हैं. लेकिन उनका कहीं पता नहीं रहता है. इससे मायूस होकर छात्र अकेले ही प्रैक्टिस कर वापस लौटने को मजबूर हैं.
बता दें कि, केडी सिंह बाबू स्टेडियम में खेलकूद के लिए विभाग के सभी कोच की तैनाती शासन के द्वारा की गई है. इनको लाखों रुपये प्रति माह सैलरी दी जाती है ताकि केडी सिंह बाबू स्टेडियम में अपनी खेल प्रतिभा को निखारने के लिए आने वाले छात्रों की प्रतिभाओं को और अधिक निखारा जा सके. लेकिन सच्चाई बिल्कुल अलग है. बैडमिंटन के कोच कभी स्टेडियम में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए नहीं आते हैं. जबकि वो लाखों रुपये वेतन लगातार ले रहे हैं और अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग रहे हैं.
कभी कभार ही आते हैं सरकार के द्वारा नियुक्त बैडमिंटन कोच
स्टेडियम में प्रैक्टिस करने आये बैडमिंटन खिलाड़ियों ने बताया कि शासन के द्वारा बैडमिंटन कोच यहां तैनात है. लेकिन वो कभी-कभार ही आते हैं. ऐसे में वो दूसरे कोच से प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और अपनी प्रतिभा और खेल को निखारने के प्रयास में लगे रहते हैं. खिलाड़ी स्टेडियम के बैडमिंटन कोर्ट पर घंटों पसीना बहाते हैं. लेकिन जिस प्रशिक्षण की अपेक्षा वो अपने कोच से करते हैं वो उन्हें नहीं मिल पा रही है. इससे खिलाड़ियों में मायूसी देखने को मिल रही है.
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