बड़े कमाल की फ्री में मिलने वाले इस जलीय पौधे की खेती, धान के साथ उगाने पर होंगे मालामाल!

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बड़े कमाल की फ्री में मिलने वाले इस जलीय पौधे की खेती, धान के साथ उगाने पर होंगे मालामाल!



अभिषेक माथुर/हापुड़. धान की खेती करने वाले किसानों के लिए एजोला जलीय पौधा बेहद खास है. घास की तरह दिखने वाला यह पौधा तालाब, पोखर और बाउली आदि में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है. मुफ्त में मिलने वाले इस घास के पौधे से किसानों को बहुत फायदा होता हैं. यह पौधा धान की खेती के दौरान न सिर्फ किसानों की यूरिया में बचत करता है, बल्कि फसल के उत्पादन में भी काफी सहायक रहता है.

हापुड़ के बाबूगढ़ स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञ डॉ. अभिनव कुमार ने बताया कि घास की तरह दिखने वाले एजोला जलीय पौधे की खासियत है कि यह अपने अंदर नाइट्रोजन, बायो फर्टिलाइजर का स्थिरीकरण करता है. स्थिर पानी में यह पौधा ग्रोथ करता है .डॉ. अभिनव कुमार ने बताया कि धान की रोपाई के एक सप्ताह के अंदर प्रयोग कर सकते हैं. किसान इस एजोला जलीय पौधे को मिट्टी में मिला दें. पौधे में कार्बनिक पदार्थ प्रचूर मात्रा में होने की वजह से यह मिट्टी के लिए ज्यादा बेहतर माना जाता है. धान की बुवाई के समय किसान धान में स्थिर या खड़ा पानी रखते हैं. जिससे यह अजौला पौधा धान में सतह बनाता है.

प्रति हेक्टेयर 30 किलो नाइट्रोजन खाद की बचतइस पौधे का इस्तेमाल कर किसान 30 किलो नाइट्रोजन खाद प्रति हेक्टेयर की बचत कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस पौधे की खासियत है कि यह अपने पोषण तत्व की पूर्ति स्वयं करता है. धान की वृद्धि के साथ-साथ अपनी बढ़वार भी करता है. प्रति हेक्टेयर 40 से 50 किलोग्राम यूरिया की बचत करता है. डॉ. ने बताया कि इस एजोला जलीय पौधे का इस्तेमाल करने के बाद यह पानी की सतह पर एक आवरण बनाता है, जिससे घास व खरपतवार कम पैदा होता हैं. मिट्टी के अंदर कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में वृद्धि करता है. धान के साथ अगली फसल को भी नाइट्रोजन, फास्फॉरेस, पोटास, सूक्ष्म तत्व व मूल्यवान कॉर्बनिक पदार्थ भी प्रदान करता है. इसके प्रयोग से धान की फसल में प्रति हेक्टेयर 15 से 20 प्रतिशत तक फसल की उत्पादकता में वृद्धि होती है.

धान के साथ रवि फसलों को भी होगा लाभ.डॉ. अभिनव कुमार ने बताया कि धान की फसल के साथ-साथ अगली फसल गेहूं, चना, मसूर व अन्य रबी की फसलों में भी इस जलीय घास के पौधे का लाभ किसानों को मिलता है. यह मिट्टी में नाइट्रोजन व अन्य तत्व की पूर्ति करता है. डॉ. अभिनव ने बताया कि यह पौधा किसानों को हापुड़ में कृषि विज्ञान केन्द्र से मिल सकता है. यहां पर इस पौधे की एक इकाई बनाई गई है. किसान इस इकाई का आकर अवलोकन भी कर सकते हैं और धान की खेती में बंपर पैदावार के लिए टिप्स भी ले सकते हैं.

 
.Tags: Hapur News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 16, 2023, 19:11 IST



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