बड़े-बड़े कंप्यूटर भी फेल! छैनी-हथौड़ी से बने इस मार्का की सैकड़ों साल से जबरदस्त डिमांड, डिजाइन भी शानदार

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बड़े-बड़े कंप्यूटर भी फेल! छैनी-हथौड़ी से बने इस मार्का की जबरदस्त डिमांड

Last Updated:February 26, 2025, 15:20 ISTफर्रुखाबाद के कारीगर टीन की चादरों पर नक्काशी कर मार्का स्टैम्प्स बनाते हैं, जिनकी खेती और व्यापार में मांग बनी रहती है. राजकुमार कारीगर अपने पूर्वजों की विरासत को जीवंत रखते हुए मिसाल बने हैं.X

मार्का तैयार करते कारीगर हाइलाइट्सफर्रुखाबाद के कारीगरों के मार्का स्टैम्प्स की मांग बढ़ी.कारीगर टीन की चादरों पर नक्काशी कर स्टैम्प्स बनाते हैं.राजकुमार कारीगर पूर्वजों की विरासत को जीवंत रख रहे हैं.फर्रुखाबाद: परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, समय हर किसी को ऐसा हुनर सिखा ही देता है जिससे जीवन यापन के साथ-साथ आय भी अर्जित की जा सके. फर्रुखाबाद के मेहनती कारीगर अपनी परंपरागत कला को जीवंत रखते हुए ऐसा काम कर रहे हैं, जिसकी आज हर कोई सराहना कर रहा है.

दैनिक मेहनतकश समाज से जुड़े ये कारीगर बाजार से टीन की चादरें लाकर उन पर छेनी और हथौड़ी से महीन नक्काशी करते हैं. कई घंटे की मेहनत के बाद वे ऐसे मार्का (ट्रेडमार्क स्टैंप) तैयार करते हैं, जिनका उपयोग घरेलू सामान, कृषि कार्यों और छपाई में किया जाता है. इन मार्कों की हर समय मांग बनी रहती है.

कारीगरों के मुताबिक, पहले इन मार्का स्टैम्प्स का उपयोग अधिक होता था, लेकिन आधुनिक तकनीकों के चलते अब इनकी मांग थोड़ी कम हो गई है. इसके बावजूद, प्रदेशभर में मौसम कोई भी हो, इन उत्पादों की बिक्री बनी रहती है.

पूर्वजों की विरासत को बनाए रखालोकल18 से बातचीत में राजकुमार कारीगर ने बताया कि यह काम उनके पूर्वजों से चला आ रहा है. आज के दौर में जब लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, वे अपनी कला को बनाए रखते हुए दूसरों के लिए मिसाल बन गए हैं. फर्रुखाबाद के नेकपुर मशेनी गांव के निवासी राजकुमार अपने परिवार के साथ सातनपुर मंडी मुख्य मार्ग पर रहते हैं और वहीं पर यह पारंपरिक घरेलू सामान भी तैयार करते हैं.

खास मार्कों की बनी रहती है डिमांडखेती और व्यापार में उपयोग होने वाले मार्का स्टैम्प्स की हमेशा मांग बनी रहती है. ये स्टैम्प्स फसल के पैकेट्स पर नाम, किस्म, लॉट नंबर और अन्य पहचान चिन्ह उकेरने के लिए उपयोग किए जाते हैं.

ये कारीगर टीन की चादरों पर बेहद बारीक और आकर्षक नक्काशी करते हैं, जिससे रंग की सहायता से प्रिंटिंग की जा सकती है. आमतौर पर वे 20-25 स्टैम्प्स प्रतिदिन बेच लेते हैं, जिनकी कीमत ₹50 प्रति पीस तक होती है.

कैसे तैयार किए जाते हैं ये स्टैम्प्स?

टीन की चादर को समतल किया जाता है.

उन्हें आवश्यक आकार (गोल या चौकोर) में काटा जाता हैहथौड़े से नक्काशी कर डिजाइन उकेरा जाता है

लकड़ी का हैंडल जोड़कर इसे उपयोग के लिए तैयार किया जाता है

Location :Farrukhabad,Uttar PradeshFirst Published :February 26, 2025, 15:20 ISThomeuttar-pradeshबड़े-बड़े कंप्यूटर भी फेल! छैनी-हथौड़ी से बने इस मार्का की जबरदस्त डिमांड

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