Babies born during covid-19 pandemic might have risk of autism says study | क्या कोरोना महामारी के दौरान बनीं मांओं के बच्चों पर पड़ा असर? रिसर्च में ऑटिज्म के खतरे का दावा!

admin

Babies born during covid-19 pandemic might have risk of autism says study | क्या कोरोना महामारी के दौरान बनीं मांओं के बच्चों पर पड़ा असर? रिसर्च में ऑटिज्म के खतरे का दावा!



कोरोना महामारी का असर न केवल जीवन के हर पहलू पर पड़ा, बल्कि प्रेग्नेंसी के दौरान कोविड से संक्रमित महिलाओं के बच्चों पर इसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम भी देखे जा रहे हैं. एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमण से प्रभावित गर्भवती महिलाओं के बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) का खतरा बढ़ सकता है. यह अध्ययन मई में कोपेनहेगन में आयोजित एक मेडिकल कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया गया.
अध्ययन में पाया गया कि कोविड संक्रमित मांओं से जन्मे 28 महीने के बच्चों में 11% (211 में से 23 बच्चे) ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लिए सकारात्मक पाए गए. यह दर सामान्यत: 1-2% की अपेक्षित दर से कहीं अधिक है. यह अध्ययन अमेरिकी शोधकर्ता और पीडियाट्रिक इंफेक्शियस डिजीज विशेषज्ञ डॉ. कारिन नीलसन द्वारा किया गया, जिन्होंने पहले जीका वायरस के कारण बच्चों में होने वाले गंभीर जन्म दोषों पर रिसर्च की थी. उन्होंने कोरोना से गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों पर संभावित प्रभाव को समझने के लिए एक नए अध्ययन की शुरुआत की.
नवजात शिशुओं में दिखे शुरुआती संकेतयूसीएलए के मैटल चिल्ड्रन हॉस्पिटल में जन्म लेने वाले बच्चों में एक असामान्य प्रवृत्ति देखी गई. इनमें से कई नवजात बच्चों को गहन चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता पड़ी. शिशुओं के मोटर फंक्शन्स का मूल्यांकन करने के लिए “जनरल मूवमेंट असेसमेंट” नामक उपकरण का उपयोग किया गया. प्रारंभिक मूल्यांकन में पाया गया कि 14% बच्चों में विकासात्मक समस्याओं के संकेत दिखे. 6 से 8 महीने की उम्र तक पहुंचने पर, 109 शिशुओं में से लगभग 12% ने विकास के महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल नहीं किए. वहीं, 11.6% बच्चों में संज्ञानात्मक, मोटर, या भाषा विकास में देरी देखी गई.
परिणामों पर मतभेदहालांकि, यह शोध चिंताजनक है, लेकिन इसके निष्कर्षों पर बहस भी हो रही है. अक्टूबर 2024 में JAMA में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन ने दावा किया कि कोविड से संक्रमित मांओं के बच्चों में विकास संबंधी समस्याओं का कोई स्पष्ट खतरा नहीं पाया गया.
लंबे समय तक प्रभाव की आशंकाकोरोना के लंबे समय के प्रभावों पर शोध जारी है. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह वायरस न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि न्यूरोडेवलपमेंट और मेंटल हेल्थ पर भी असर डाल सकता है.



Source link