बाबा मनकामेश्वर करते हैं चांदी के पलंग और मखमल के कंबल में शयन, 850 सालों से चली आ रही परंपरा !

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बाबा मनकामेश्वर करते हैं चांदी के पलंग और मखमल के कंबल में शयन, 850 सालों से चली आ रही परंपरा !



हरिकांत शर्मा/ आगराः सर्दियों में जिस तरह से हमें और आपको सर्दी लगती है और उससे बचने के लिए हम गर्म कपड़े पहनते हैं. ठीक उसी भाव से भगवान मनकामेश्वर को भी सर्दी से बचाने के लिये गर्म कपड़े ,मखमल का कंबल उड़ाया जाता है. इसके साथ ही शरद ऋतु के हिसाब से भगवान की पोशाक तैयार की गयी है.

भगवान को ठंड ना लगे इसके लिए मंदिर में गरम हीटर लगाए गए हैं.भगवान के भोग में भी बदलाव किया गया है.भगवान मनकामेश्वर महादेव के लिए गर्म तासीर वाले व्यंजन तैयार होते हैं . यही नहीं भगवान मनकामेश्वर महादेव चांदी के पलंग पर मखमली बिस्तर में शयन करते हैं. यह परंपरा 850 सालों से चली आ रही है.

साज सिंगार, पोशाक और प्रसादशरद ऋतु के आगमन के साथ ही देवी देवताओं की दिनचर्या आरती का समय, प्रसाद और साज सज्जा में बदलाव किया जाता है. देवी देवताओं के दैनिक भोग को भी मौसम के अनुकूल तैयार किया जाता है.गर्म खाद्य सामग्री के अलावा बादाम, पिस्ता, काजू, गुड़ समेत चावल से बनी खिचड़ी और राजगिरि के आटे की पूड़ी का भोग लगाया जा रहा है.

ठंड से बचने के लिए बाबा को लगाया जाता है हिना का इत्रमनकामेश्वर के महंत योगेश पुरी बताते हैं कि हमारे यहां भगवान को अपने जैसा माना जाता है. जब हमें ठंड लगती है तो हमारे इष्ट, हमारे आराध्य को भी ठंड लगती है. तो सर्दी के मौसम को ध्यान में रखते हुए बाबा को ठंड ना लगे इसीलिए उन्हें कानों पर टोपा और मखमल का कंबल उड़ाया गया है. यह व्यवस्था अश्विन नवरात्रि से शुरू होती हैं. हल्की-हल्की ठंड होने पर ही पोशाक में बदलाव किया जाता है. पहले पतला कंबल और वस्त्र फ़िर जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जाती है, बाबा को मोटा कंबल उठाया जाता है. हमारे यहां इत्र की सेवा चलती है, तो गर्मियों में बाबा को खस का इत्र लगाया जाता है. जो ठंडक देता है. तो वहीं सर्दियों में हिना लगाया जाता है. आठ बार आरती के समय हिना चलता है. शाम को भी शयन के दौरान हिना इत्र का मर्दन किया जाता है .ताकि गर्माहट बनी रहे.

चांदी के बने पलंग और मखमल के कंबलबाबा मनकामेश्वर के शयन के लिए चांदी का पलंग ,मखमल के कंबल , दो तकिया की व्यवस्था की जाती है .यहां प्रतीकात्मक स्वरूप में बाबा मनकामेश्वर को शयन कराया जाता है. महंत योगेशपुरी बताते हैं कि इस मंदिर की सेवा में उनकी 28 वीं पीढ़ी है और यह परंपरा लगभग 850 वर्षों से चली आ रही है .मंदिर में हर मौसम के अनुकूल भगवान मनकामेश्वर महादेव के खान-पान प्रसाद से लेकर उनके पहनावे की व्यवस्था की जाती है.

मनकामेश्वर शिवलिंग की स्थापनाआगरा दरेसी, रावत पाड़ा में स्थित भगवान महादेव का अति प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग को मनकामेश्वर कहा जाता है. इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग की स्थापना के पीछे बेहद रोचक कहानी जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि यहां शिवलिंग की स्थापना खुद भगवान शिव ने द्वापर युग में की थी. मथुरा में श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनके बाल-रूप के दर्शन की कामना लेकर कैलाश से चले शिव ने एक रात यहां बिताई थी और साधना की थी.उन्होंने यह प्रण किया था कि यदि वह कान्हा को अपनी गोद में खिला पाए तो यहां एक शिवलिंग की स्थापना करेंगे. अगले दिन जब वह गोकुल पहुंचे तो यशोदा मैया ने उनके भस्म-भभूत और जटा-जूटधारी रूप को देख कर मना कर दिया कि कान्हा उन्हें देख कर डर जाएगा. तब शिव वहीं एक बरगद के पेड़ के नीचे ध्यान लगा कर बैठ गए. शिव को आया जान कन्हैया ने लीला शुरू कर दी और रोते-रोते शिव की तरफ इशारा करने लगे.तब यशोदा माई ने शिव को बुला कर कान्हा को उनकी गोद में दिया और तब जाकर कृष्ण चुप हुए.इसी मनोकामना के पूरे होने के बाद भगवान महादेव ने आगरा में मनकामेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग की स्थापना की.
.Tags: Agra news, Hindu Temple, Local18FIRST PUBLISHED : December 15, 2023, 19:07 IST



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