सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या : 22 जनवरी को प्रभु राम अपने भव्य महल में विराजमान हो जाएंगे. प्रभु राम को इस भव्य महल में विराजमान कराने का जो 495 साल का संघर्ष रहा है उसको भी भुलाया नहीं जा सकता. ऐसे ही एक कहानी आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे जिसे जान आप हैरान हो जाएंगे. दरअसल, अयोध्या के दिगंबर अखाड़ा से होकर हनुमानगढ़ी और उसके बाद श्री राम जन्मभूमि परिसर पहुंचने वाला मार्ग आज भी कारसेवकों के रक्त रंजित इतिहास की कहानी बयां करता है.
गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद, बीजेपी, बजरंग दल जैसे संगठनों ने अयोध्या में विवादित स्थल पर 30 अक्टूबर को कारसेवा का ऐलान किया था.उस दिन प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार के प्रतिबंधों के बावजूद बड़ी संख्या में कार सेवक विवादित ढांचे तक पहुंच गए थे. इस दिन रामनगरी में सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व थी. पुलिस ने अयोध्या के लिए सभी बस और ट्रेन सेवाओं पर रोक लगा दी थी. सीमाओं को सील कर दिया गया था. अधिकांश कारसेवक पैदल ही अयोध्या पहुंच रहे थे. कई कारसेवक तो सरयू की तेज धार को तैरकर पार गए. वहां सुरक्षा बलों की कार्रवाई में तत्कालीन विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल घायल भी हो गए थे. इसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने 2 नवंबर को भी कारसेवा करने का ऐलान किया और बड़ी संख्या में कार सेवक विवादित ढांचे की और कूच कर गए.
कोठारी बंधुओं की मौत2 नवंबर को कार सेवा के लिए भक्त आगे बढ़ने लगे. रास्ते में हनुमान गढ़ी पर पुलिस ने कार सेवकों को रोकने के लिए पहले लाठी चार्ज किया. इसके बाद गोलियां चलानी शुरू कर दी. विशेष तौर पर सुरक्षा बलों की यह कार्रवाई दिगंबर अखाड़ा से हनुमानगढ़ होते हुए राम जन्मभूमि परिसर के मार्ग पर हुआ. जहां अपने मकान में मौजूद रमेश पांडे की गोली लगकर मौत हो गई और दो सगे भाई रामकुमार कोठारी और शरद कुमार कोठारी भी गोली लगने से कुछ अन्य कारसेवकों के साथ मौत हो गई.
2 नवंबर 1990 की घटनारामजन्मभूमि से लगभग 500 मीटर दूर हनुमानगढ़ी चौराहे से लालकोठी जाने वाले मार्ग को 1990 की घटना के बाद कारसेवकों की याद में शहीद मार्ग कहा जाने लगा. वहीं इन शहीदों को लेकर दिगंबर अखाड़ा में शहीदों के स्मारक चिन्ह भी स्थापित किया गया जिस पर प्रत्येक वर्ष राम भक्त इन कारसेवकों को 2 नवंबर के दिन श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं .
कलंकित ढांचे पर कारसेवकों ने लहराया परचमश्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि शहीद गली पूरी तरह से खून से लथपथ था और वह मंजर आज भी कर सेवकों की कुर्बानी की याद ताजा कर देता है. यह मंजर हमने अपनी आंखों से देखा है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. कार सेवक थोड़ी-थोड़ी टुकड़ियों में चल रहे थे. आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि 1990 में हिंदू और संस्कृति की रक्षा को लेकर देश भर से बड़ी संख्या में राम भक्त उस कलंकित ढांचे पर भगवा ध्वज फहराने अयोध्या पहुंचे थे और विवादित ढांचे पर भगवा फहरा कर अपना शौर्य प्रदर्शित किया था जिसके बाद उन कारसेवकों के ऊपर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी गई और बड़ी संख्या में कारसेवक अयोध्या में शहीद हुए थे.
शांतिपूर्ण कारसेवकों पर मुलायम के आदेश पर चली गोलीआचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि कारसेवकों को शांतिपूर्ण ढंग से चलने का आदेश दिया गया था. कारसेवकों को नियंत्रण करने वाले लोगो ने यह प्रण लिया था कि उस दौरान जहां पुलिस रोकेगी वहीं बैठ जाना है. जब कार सेवक मणिरामदास छावनी से निकल करके तपस्वी छावनी , दिगंबर अखाड़ा होते हुए जा रहे थे तो दिगंबर अखाड़े के पास कारसेवकों को पुलिस ने रोक लिया. कार सेवक वहीं बैठ गए और सीताराम का जाप करने लगे, वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने कारसेवकों पर मुलायम सिंह के आदेश पर गोली चला दिया था.
.Tags: Ayodhya News, Ayodhya ram mandir, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : January 12, 2024, 17:53 IST
Source link