सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. इन दिनों देशभर में मकर संक्रांति पर्व की धूम है. लोग धूमधाम से मकर संक्रांति पर्व की तैयारी कर रहे हैं. इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के इस महापर्व पर एक तरफ जहां लोग स्नान-दान करते हैं. वहीं दूसरी तरफ परिवार के साथ छोटे-बड़े सभी मिलकर एक साथ पतंगबाजी का आनंद उठाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है आखिर क्यों मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाई जाती है. क्या है इसके पीछे का इतिहास क्या है. क्या है इसकी मान्यता. चलिए आज हम आपको बताते हैंदरअसल पतंग उड़ाने की सबसे पौराणिक मान्यता भगवान राम से जुड़ी हुई है. तमिल के तन्दनान रामायण के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान रामलला ने पतंग उड़ाई थी. जो इंद्रलोक तक पहुंच गई थी और वह वापस नहीं आई थी.स्वर्ग पहुंची भगवान राम की पतंगरामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं भगवान श्री राम जब बाल्यावस्था में थे और उसी अवस्था में वह बालकों के साथ खेलते थे. उनका पतंग उड़ाने का स्वभाव था और इतना ही नहीं वह आगे भी पतंग उड़ाया करते थे. ऐसे में एक दिन भगवान राम ने पतंग को इतनी ढील दे दी कि वह सीधे स्वर्ग लोक पहुंच गई थी. स्वर्ग लोक में पतंग इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी को मिली. उनको पतंग काफी पसंद आई और उसको अपने पास रख लिया. उधर भगवान राम ने हनुमानजी को पतंग लाने के लिए भेजा.जब हनुमानजी ने जयंत की पत्नी से पतंग वापस करने के लिए कहा, तब उन्होंने भगवान राम के दर्शन की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि दर्शन के बाद ही वह पतंग वापस करेंगी. उनकी इच्छा जानने के बाद भगवान राम ने कहा कि वह मेरे दर्शन चित्रकूट में कर सकती है. हनुमानजी ने स्वर्ग लोक में जयंत की पत्नी को भगवान राम का आदेश दिया, जिसके बाद उन्होंने पतंग वापस कर दी. मान्यता है इस दिन से ही मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : January 14, 2023, 19:09 IST
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