अनुदेशकों के मानदेय मामले पर केंद्र सरकार के अधिकारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खूब लगाई फटकार, जानें वजह

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अनुदेशकों के मानदेय मामले पर केंद्र सरकार के अधिकारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खूब लगाई फटकार, जानें वजह



प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखने पहुंचे अंडर सेक्रेटरी को लेकर कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी की. दरअसल केंद्र सरकार के अंडर अंडर सेक्रेटरी बगैर किसी कागजात के कोर्ट पहुंचे थे, इस पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए सवाल किया, ‘क्या आप संगम घूमने आए हो? किसने टूर को परमिट किया?’
कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि इन्हें सरकार आने-जाने का कोई भत्ता नहीं देगी. कोर्ट ने कहा, ‘अंडर सेक्रेटरी आज के दिन अवकाश पर रहेंगे और आने-जाने का पत्ता भी नहीं मिलेगा.’

बता दें कि अंडर सेक्रेट्री फ्लाइट लेट होने के कारण कुछ देर से अदालत पहुंचे थे. अंडर सेक्रेटरी के इंतजार के लिए कोर्ट ने 10 मिनट का समय दिया था.

दरअसल याची विवेक सिंह और आशुतोष शुक्ला ने उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी, जिस पर चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई.

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इस दौरान अनुदेशकों की ओर से अधिवक्ता दुर्गा तिवारी और अधिवक्ता एच एन सिंह ने अदालत में पक्ष रखा. हालांकि अदालत में आज भी मामले में बहस नहीं हो सकी पूरी. अब 11 जुलाई को 11.30 बजे मामले की अगली सुनवाई होगी.

इस मामले में लखनऊ बेंच में भी एक याचिका दाखिल है. इलाहाबाद में प्रधान न्यायाधीश की पीठ और लखनऊ बेंच में दाखिल दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई चल रही है. इस मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की बहस पहले ही पूरी हो चुकी है.

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राज्य सरकार ने इससे पहले कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से उसे पूरा फंड नहीं दिया गया है. इस पर कोर्ट ने पूछा कि केंद्र ने बजट नहीं दिया तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गई.

दरअसल केंद्र सरकार ने यूपी के लगभग 27 हजार अनुदेशकों का मानदेय वर्ष 2017 में बढ़ाकर 17000 रुपये कर दिया था, लेकिन यूपी सरकार ने इसे लागू नहीं किया है. ऐसे में मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर अनुदेशकों ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी.

इस पर जस्टिस राजेश चौहान की सिंगल बेंच ने 3 जुलाई 2019 को आदेश दिया था कि अनुदेशकों को वर्ष 2017 से 17000 रुपये का मानदेय 9% ब्याज के साथ देने है. इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल की है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Allahabad high court, UP newsFIRST PUBLISHED : May 24, 2022, 13:28 IST



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