नोएडा. दिल्ली और उत्तर प्रदेश के नोएडा-गाजियाबाद में वायु प्रदूषण (Air Pollution) से परेशान लोगों के लिए अच्छी खबर है. उत्तर प्रदेश का पहला एंटी स्मॉग टाॅवर नोएडा (First Anti Smog Tower) में लगाया जा रहा है. यह एंटी पॉल्युशन स्मॉग टाॅवर (Anti Pollution Smog Tower) दीपावली तक शुरू हो जाएगा. एंटी स्मॉग टावर बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है. हरिद्वार से पार्ट्स नोएडा पहुंचे गए हैं. यहां असेम्बलिंग का काम तेजी से किया जा रहा है. एंटी पॉल्यूशन कंट्रोल टाॅवर (APCT) नोएडा अथॉरिटी और BHEL मिलकर बना रही हैं. यह पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लगाया जा रहा है. एंटी स्मॉग टाॅवर की ऊंचाई 20 मीटर है.
नोएडा अथॉरिटी और भेल मिलकर इस टॉवर का निर्माण कर रहे हैं.
दिल्ली और एनसीआर में ठंड के दस्तक के साथ ही हवा में जहर घुलने लगता है, लेकिन इस बार नोएडा अथॉरिटी ने प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए तैयारी शुरू कर दी हैं. एंटी स्मॉग गन भी लगाई जा रही है, ताकि प्रदूषण की प्रभावी रूप से रोकथाम की जा सके.
एयर पॉल्युशन कंट्रोल टाॅवर सेक्टर 16 फिल्म सिटी की ग्रीन बेल्ट पर लगाया जा रहा है. स्मॉग टाॅवर लगने से DND, नोएडा-ग्रेटर, नोएडा एक्सप्रेसवे, सेक्टर 15, सेक्टर 16,सेक्टर 17 और सेक्टर 18 के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है. हरिद्वार से एंटी स्मॉग टाॅवर के पार्ट्स नोएडा पहुंच गए हैं और यहां पर असेम्बलिंग का काम तेजी से किया जा रहा. दिल्ली-एनसीआर में ठंड में सांस लेना दूभर हो जाता है. उस समय वायु प्रदूषण चरम पर होता है. हवा में पीएम-2.5 के आंकड़े डराने लगते हैं. नोएडा अथॉरिटी का कहना है कि यह स्मॉग टावर दिल्ली-एनसीआर का दूसरा और यूपी का पहला है.
आज भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा का AQI 200 के पार चला गया है यानि नोएडा और ग्रेटर नोएडा की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी की है. एंटी पॉल्युशन कंट्रोल टाॅवर चलाने का आधा खर्च नोएडा अथॉरिटी वहन करेगी. फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत की गई है, अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो तो नोएडा के अलग-अलग स्थानों में एंटी स्मॉग टावर लगाए जाएंगे.
एंटी स्मॉग टावर कैसे काम करता है?
आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के करीब बन रहे सबसे बड़े एंटी स्मॉग टॉवर के ग्राउंड फ्लोर पर करीब 40 पंखे लगे हैं. एक इंजीनियर ने बताया कि हवा का स्तर खराब से बेहद खराब हुआ तो पहियों की रफ्तार भी उसी हिसाब से बढ़ेगी. ये अमेरिकन तकनीक से बनाया जा रहा है यानि हवा का स्तर खराब होने पर सबसे ऊपरी हिस्सा प्रदूषित हवाओं को सोखकर टावर के बीच वाले हिस्से में फेंकेगा. बीच वाला इसे नीचे पंखो वाले हिस्सो में फेंकेगा. पंखों पर खास तकनीक के फिल्टर लगे होंगे जो 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगे और हवा को शुद्ध करके बाहर फेकेंगे.
दावा है कि शुद्ध हवा 1 से डेढ़ किलोमीटर के दायरें में फैल जाएगी. वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि हवा की रफ्तार इतनी तेज़ होगी कि आस-पास के पेड़ भी जद में आ जाएंगे. इसके आसपास सड़क बनेगी और पानी निकालने के लिए ड्रेन भी बनाई जाएगी.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.
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