अमरूद की खेती के लिए सरकार दे रही है 50 प्रतिशत सब्सिडी, सीधे खाते में डालेगी पैसा, ऐसे उठाएं लाभ

admin

अमरूद की खेती के लिए सरकार दे रही है 50 प्रतिशत सब्सिडी, सीधे खाते में डालेगी पैसा, ऐसे उठाएं लाभ

संजय यादव/बाराबंकी: अगर किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए बागवानी करना चाहता है तो बरसात का सीजन सबसे अच्छा समय होता है. इस समय आप एक बेहतर बगीचा तैयार करने के लिए पौधे लगा सकते हैं. यदि किसान भाई फलों वाले पौधे लगाना चाहते हैं तो उद्यान विभाग अमरूद आम और केला के पौधा खरीदने में होने वाला खर्च किसानों के खाते में भेजकर उन्हें इस खेती के प्रति प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. किसानों को अमरूद की बागवानी लगाने के लिए सबसे पहले उद्यान विभाग में आनलाइन पंजीकरण कराना होगा.

दरअसल, किसानों को बागवानी वाली खेती करनी चाहिए. क्योंकि इससे साल भर कमाई होती रहती है और महंगी खेती के लिए लागत मिलती रहती है. ऐसे में उद्यान विभाग द्वारा बरसात का सीजन शुरू होते ही केला, आम, अमरूद और नींबू का बगीचा लगाने के लिए अनुदान सहित तकनीकी सहायता और यहां तक कि पौधे भी मुहैया कराए जाते हैं. 3 साल में बेहतर बगीचा बनकर तैयार हो जाता है और फसलों का सीजन ना होने के बावजूद किसान कमाई कर सकते हैं.

जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया बागवानी क्षेत्र में अमरूद का भी महत्व बढ़ता जा रहा है. जनपद बाराबंकी में भी काफी संख्या में भी अमरूद की खेती किसान करने लगे हैं. खासकर अमरूद नदी किनारे लगाने से काफी फायदा मिलता है. सरकार इस पर प्रोत्साहन राशि दे रही है. इसमें 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा तीन सालों में.

पहले वर्ष में रोपण सामग्री पर 30% उसके अगले साल निवेश के रूप में 10% फिर तीसरे साल 10% दिया जाता है. अमरूद की खेती दो तरीके से की जाती है. 6 बाई 6 मीटर में लगाने पर एक हेक्टेयर में 277 पौधे लगाते हैं तो उसे स्कीम के तहत 38,240 लागत आती है. उसका 50% अनुदान 3 वर्षों में मिलता है. पहले वर्ष 11,502 रुपए दिया जाता है. इसी तरह 3 बाई 3 मीटर पर लगाने से इसकी लागत 58,662 रुपए आती है, जिसका 50% अनुदान 29,331 रुपए सरकार उन लोगों को मुहैया कराती है.  इसके लिए हॉर्टिकल्चर पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा उसके बाद पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर उनका चयन किया जायेगा.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 20:10 IST

Source link