हाइलाइट्समुआवजा के नाम पर जिम्मेदार अफसरों ने 380 करोड़ रुपये लुटा दिएएनएच-56 के चौड़ीकरण से प्रभावित किसानों के बराबर मुआवजा दे दियाअमेठी. यूपी के अमेठी में कुछ सालों पहले बनाया गया राष्ट्रीय राज्यमार्ग अचानक चर्चा में आ गया. दरअसल, अमेठी जिले से होकर गुजरने वाले लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े बाईपास के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण से पहले मुआवजा के नाम पर जिम्मेदार अफसरों ने 380 करोड़ रुपये लुटा दिए. मामला सामने आनेे के बाद कराई गई जांच में मिले तथ्यों से प्रशासनिक अमला सकते में है.
केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद अमेठी में साल 2016 में लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण यानी टू लेन से बढ़ाकर फोर लेन करने की कवायद शुरू हुई. नेशनल हाईवे बनने के बाद लोगों को जाम से नहीं जूझना पड़े, इसके लिए अमेठी जिले से होकर गुजरने वाले करीब 50 किलोमीटर मार्ग पर जगदीशपुर विधानसभा के उतेलवा से कनकूपुर और मुसाफिरखाना तहसील क्षेत्र के मठा भुसुंठा से सराय सुलेमान गांव तक बाईपास का सर्वे हुआ. इस सर्वे में नेशनल हाईवे में करीब 2 दर्जन से अधिक गांव चिन्हित किए गए. राजस्व विभाग के सर्वे में चिन्हित करीब-करीब सभी जमीनें भी कृषि कार्य से जुड़ी थीं. इसी तरह 15 गांव की कई हेक्टेयर जमीनें ऐसी थीं जो एनएच-56 चौड़ीकरण में आ रही थीं. सर्वे कार्य पूरा होने के बाद एनएचएआई ने राजस्व विभाग से मुआवजा वितरण की कार्रवाई पूरी कराने को कहा.
एनएचएआई के अनुरोध पर राजस्व विभाग के तत्कालीन अफसरों ने बाईपास जाने से प्रभावित किसानों को नियम ताक पर रखते हुए एनएच-56 के चौड़ीकरण से प्रभावित किसानों के बराबर मुआवजा दे दिया. दोनों बाईपास पर मुआवजे के रूप में वितरित की गई रकम करीब 560 करोड़ रुपये के आसपास बताई जा रही है.
वाद पर सुनवाई में हुआ खुलासाअमेठी में मामले का खुलासा तब हुआ जब एनएचएआई की ओर से 2020 में दायर आर्बिटे्रशन वाद की फाइल कुछ दिन पूर्व मौजूदा जिला मजिस्ट्रेट के सामने आई. दायर वाद में एनएचएआई ने अभिनिर्णय व भुगतान पर प्रश्नचिन्ह लगाया था. वाद पत्रावली देखते ही जिला मजिस्ट्रेट को लगा कि इसमें बड़ा खेल किया गया है.
डीएम अमेठी ने जांच के लिए गठित की चार सदस्यीय टीमदायर वाद व उसमें लगे तथ्यों की जानकारी होने के बाद डीएम राकेश कुमार मिश्र ने एडीएम न्यायिक राजकुमार द्विवेदी के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम गठित कर दी. टीम में एडीएम न्यायिक के अलावा मुख्य कोषाधिकारी आलोक राजवंशी, एआईजी स्टांप सीपी मौर्य व एसडीएम मुसाफिरखाना सविता यादव को शामिल किया गया. टीम ने जांच शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. टीम ने पाया कि यदि मुआवजा वितरण में गड़बड़ी नहीं की गई होती तो 560 करोड़ के बजाए करीब 180 करोड़ रुपये ही खर्च होते.
अमेठी के पूर्व अफसरों ने मुआवजा वितरण में किया बड़ा खेल!News18 की टीम को सूत्रों से जानकारी मिली है कि डीएम अमेठी राकेश कुमार मिश्र के निर्देश पर पूरे मामले की 4 सदस्यीय टीम जांच कर रही है और 4 सदस्यीय टीम की शुरुआती जांच में पूरे मामले में बड़े खेल की बात सामने आ रही है. पूरे प्रकरण में तत्कालीन अफसरों ने जगदीशपुर बाईपास व मुसाफिरखाना बाईपास पर स्थित कृषि भूमि के स्वामियों को एनएच से सटी जमीनों की दर के हिसाब से मुआवजे का भुगतान कर दिया. इस प्रक्रिया में एनएचएआई को करीब 380 करोड़ रुपये की क्षति पहुंचाई गई.
अफसरों ने साधी चुप्पीइस पूरे घोटाले को लेकर अमेठी जिले के आला अफसरों ने चुप्पी साध रखी है. कोई भी अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कोई भी अफसर इस मामले में कुछ बताने को तैयार नहीं है. इस मामले में जिस भी अफसर से अधिकृत बयान देने को कहा गया वे सभी इससे बचते नजर आए.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Amethi news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : November 01, 2022, 07:01 IST
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