Allahabad News: ममता बनर्जी के अपराजिता कानून पर उठे सवाल, मौत की सजा के प्रावधान पर पूर्व चीफ जस्टिस ने दी नसीहत

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Allahabad News: ममता बनर्जी के अपराजिता कानून पर उठे सवाल, मौत की सजा के प्रावधान पर पूर्व चीफ जस्टिस ने दी नसीहत

प्रयागराज. पश्चिम बंगाल के कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की घटना को लेकर जहां पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है. वहीं, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार द्वारा ऐसे मामलों में दोषियों को फांसी दिए जाने के लिए बनाए गए अपराजिता कानून पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि यह घटना दुखद और निंदनीय हैं लेकिन मौत की सजा के अलावा अन्य विकल्प भी खुले होने चाहिए.

पश्चिम बंगाल सरकार को अपने इस फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए. उनके मुताबिक कोई भी ऐसा कानून जिसमें सिर्फ मौत की सजा का ही नियम हो, वह उचित नहीं होता. देश में फांसी की सजा का प्रावधान जरूर है, लेकिन इसे सिर्फ रेयर आफ द रेयरेस्ट तक ही सीमित रखना चाहिए. उनके मुताबिक अगर हम किसी को जीवन नहीं दे सकते तो विशेष परिस्थितियों को छोड़कर मौत की सजा भी नहीं देनी चाहिए. मौत की सजा देते वक्त जज की कलम कांपने लगती है. उन्होंने इशारों में यह बताने की कोशिश की कि ममता बनर्जी सरकार ने देश में चारों तरफ हो रही किरकिरी से बचने के लिए जल्दबाजी में यह कानून बनाया है.

तीन नए आपराधिक कानूनों को लेकर साधा निशानावहीं रिटायरमेंट के बाद बुलडोजर से लेकर एनकाउंटर तक अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर शनिवार को संगम नगरी प्रयागराज में तीन नए आपराधिक कानूनों पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर बोलने के लिए आए हुए थे. यह गोष्टी नागरिक समाज, अधिवक्ता मंच और पीयूसीएल संस्था की तरफ से आयोजित की गई थी. इस कार्यक्रम में पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने तीन नए आपराधिक कानूनों को लेकर केंद्र की सरकार पर जमकर निशाना साधा और उसकी मंशा पर सवाल खड़े किए.

सिर्फ नाम बदले गए, कापी पेस्ट से ज्यादा कुछ नहींउनके मुताबिक तीनों कानून आम नागरिकों से लेकर वकीलों और जजेज के लिए परेशानी खड़ा करने के अलावा कुछ भी नहीं है. इसमें सिर्फ नाम बदले गए हैं और इससे किसी को कोई फायदा होने वाला नहीं है. यह कापी पेस्ट से ज्यादा कुछ नहीं है. बल्कि अराजकता की स्थिति पैदा करने वाला है. उन्होंने कहा है कि तीनों नए अपराधी कानून विधायी कपट यानि लेजिसलेटिव फ्रॉड के सिवा कुछ नहीं है.

तीनों नए कानूनों की उपयोगिता पर सवाल उठाएपूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस पार्टी के सांसद राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा के बहाने भी इन तीनों नए कानूनों की उपयोगिता पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने सिर्फ एक उदाहरण ही दिया था. मोदी का नाम लेने की वजह से ही उन्हें दो साल की अधिकतम सजा दी गई, ताकि उनकी संसद की सदस्यता खत्म हो जाए. उनकी यह सजा अभी बरकरार है. पूर्व चीफ जस्टिस के मुताबिक देश के गृहमंत्री खुद को कानून से भी ऊपर मानते हैं. उनके मुताबिक सिविल मानहानि के अलावा आपराधिक मानहानि का केस होना ही नहीं चाहिए. तमाम दूसरे देशों में ऐसा नहीं है. क्रिमिनल डेफिमिशन सिर्फ इसलिए है, ताकि इसके जरिए लोगों को डराया जा सके. उनके मुताबिक तीन नए आपराधिक कानूनो को जिस तरीके से पारित किया गया है, वह संसदीय लोकतंत्र के लिए बेहद घातक है. इसमें कुछ भी नया नहीं है. लगभग पूरा का पूरा कॉपी पेस्ट है. सिर्फ नाम भर बदला गया है.

योगी सरकार के एनकाउंटर और बुलडोजर एक्शन फैसलों पर भी एतराजजस्टिस गोविंद माथुर ने इस मौके पर यूपी की योगी सरकार के एनकाउंटर और बुलडोजर एक्शन फैसलों पर भी एतराज जताया. उन्होंने कहा कि एनकाउंटर किन परिस्थितियों में हो रहा है, यह सब जानते हैं. किसी से कुछ छिपा नहीं है. उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा महिला सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों के हाथ पैर काटने वाले बयान को भी गलत बताया. उनका कहना था कि कानून इस तरह की बयानबाजी करने की इजाजत नहीं देता. इस तरह की बयानबाजी कतई कानून सम्मत नहीं है. जस्टिस गोविंद माथुर ने अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली सुनवाई को भी अनुचित करार दिया. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मजबूरी में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने कहा कि हम तकनीकी के खिलाफ नहीं हैं.लेकिन मुकदमों की सुनवाई हमेशा खुली अदालत में ही होनी चाहिए.
Tags: Allahabad high court, Allahabad news, CM Mamata Banerjee, Kolkata News, UP newsFIRST PUBLISHED : September 7, 2024, 20:54 IST

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