प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की गाय (Cow) को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव वाली टिप्पणी की चर्चा हर तरफ है. दरअसल पिछले दिनों हाईकोर्ट ने कहा कि गाय भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि गाय को मौलिक अधिकार देने और इसे राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को कदम उठाना चाहिए और संसद में विधेयक लाना चाहिए.
हाईकोर्ट के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव ने गोहत्या अधिनियम के तहत आरोपी जावेद की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान ये बात कहते हुए जमानत खारिज कर दी. उन्होंने कहा कि गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों को भी दंडित करने के लिए सख्त कानून बनाया जाना चाहिए.
12 पेज के फैसले में गाय का गुणगानआरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायाधीश शेखर कुमार यादव ने 12 पेज के फैसले में कहा कि गाय का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है और गाय को देश में मां के रूप में माना जाता है. उसकी देवत्त के रूप में पूजा होती है. देश में सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु के साथ वरुण, वायु आदि देवताओं को यज्ञ में दी गई प्रत्येक आहुति गाय के घी से देने की परंपरा है, जिससे सूर्य की किरणों को विशेष ऊर्जा मिलती है और यही विशेष ऊर्जा वर्षा का कारण बनती है.
क्या बोले न्यायाधीशस्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा है कि एक गाय अपने जीवनकाल में 400 मनुष्यों के लिए एक समय का भोजन जुटाती है और उसके मांस से केवल 80 लोग ही अपना पेट भरते हैं. पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल में गौहत्या पर मृत्युदंड का कानून बनाया था. वैज्ञानिक ये मानते हैं कि एक ही पशु गाय है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन छोड़ती है. पंचगव्य जो गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा तैयार किया जाता है, कई असाध्य रोगों में लाभकारी है.
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श्रीमद्भगवदगीता सहित अनेक उदाहरण दिएभगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवदगीता में कहा है कि गायों में मैं कामधेनू हूं. ईसा मसीह ने कहा कि एक गाय या बैल को मारना मनुष्य के मारने समान है. बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि चाहे मुझे मार डालो पर गाय पर हाथ न उठाओ. कवि रसखान ने कहा कि यदि मेरा दुबारा जन्म हो तो मैं बाबा नंद के गायों के बीच जन्म लूं. पंडित मदन मोहन मालवीय ने संपूर्ण गोवध की निषेध की वकालत की थी. महर्षि अरविंद ने भी गाय वध को पाप माना. भगवान बुद्ध गायों को मनुष्य का मित्र बताते हैं. जैनों ने गाय को स्वर्ग कहा है. गांधीजी ने गोवंश की रक्षा को भगवान से जोड़कर कहा. इन बातों को ध्यान में रखकर ही गाय को हमारे देश में बहुत महत्व दिया गया है और उसके संरक्षण और संवर्धन की बात कही गई है.
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“जीवन का अधिकार मारने के अधिकार से ऊपर”उन्होंने कहा कि जीवन का अधिकार मारने के अधिकार से ऊपर है और गोमांस खाने के अधिकार को कभी भी मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता है. जीवन का अधिकार केवल दूसरे के स्वाद के लिए नहीं छीना जा सकता है. मौलिक अधिकार केवल गोमांस खाने वालों का ही नहीं है, बल्कि जो गाय की पूजा करते हैं और आर्थिक रूप से गायों पर निर्भर हैं, उन्हें भी सार्थक जीवन जीने का अधिकार है.
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The case stems from credible intelligence inputs indicating that certain individuals in Jammu and Kashmir were “exploiting” platforms…

