Allahabad high court says high school certificate is valid evidence to decide the age of the criminal – इलाहाबाद HC ने कहा

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Allahabad high court says high school certificate is valid evidence to decide the age of the criminal - इलाहाबाद HC ने कहा



प्रयागराज. आयु निर्धारण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला किया. हाईकोर्ट ने कहा अपराध के आरोपी की आयु का निर्धारण किशोर न्याय कानून के तहत ही किया जाएगा. किशोर न्याय कानून के तहत हाई स्कूल प्रमाणपत्र आयु निर्धारण के लिए मान्य सबूत है. ऐसे में जब हाई स्कूल प्रमाणपत्र मौजूद हो तो अन्य साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने प्राथमिक विद्यालय के रजिस्टर की प्रविष्टि के आधार पर आयु निर्धारण न करने के आदेश को सही माना. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को वैधानिक करार दिया.
दरअसल सुरेंद्र सिंह की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका को कोर्ट ने खारिज करते हुए यह बात कही. याचिका में एडीजे जालौन उरई के विपक्षी रामू सिंह को किशोर ठहराने के आदेश को चुनौती दी गई थी. शिकायत कर्ता के पुत्र की हत्या के आरोप में 20 मार्च 2015 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी. 16 अक्टूबर 2015 को 8 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. विपक्षी रामू सिंह ने हाई स्कूल प्रमाणपत्र के आधार पर स्वयं को किशोर घोषित करने की मांग में अर्जी दी थी. याची की तरफ से विरोध किया गया था कि हाई स्कूल प्रमाणपत्र में विपक्षी की जन्म तिथि 4 मई 1997 दर्ज है. इसके अनुसार घटना के समय विपक्षी की आयु 17 वर्ष 10 माह 15 दिन है. याची ने प्राथमिक विद्यालय के रजिस्टर के आधार पर विपक्षी की जन्म तिथि 3 जुलाई 1996 होने के आधार पर आयु 21वर्ष होने के कारण आपत्ति दर्ज की थी.
इस बात को मानते हुए कोर्ट ने अर्जी मंजूर कर ली थी और विपक्षी को किशोर घोषित किया थी. इसे पुनरीक्षण याचिका में चुनौती दी गई थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि अपराध के आरोपी की आयु का निर्धारण किशोर न्याय कानून के तहत ही किया जाएगा. जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने दिया यह आदेश दिया.

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