Allahabad High Court over Compassionate Appointment in jaunpur case of teacher upns – अनुकंपा नियुक्ति बोनांजा, गिफ्ट या सिंपैथी सिंड्रोम नहीं, परिवार की चलती है जीविका

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प्रयागराज. अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) के मामले में दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अहम फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति बोनांजा, गिफ्ट या सिंपैथी सिंड्रोम नहीं है. यह परिवार के कमाने वाले सदस्य की मौत से परिवार के जीवनयापन पर अचानक आये संकट में न्यूनतम राहत योजना है. कोर्ट ने कहा कि लोक पदों पर नियुक्ति में सभी को समान अवसर पाने का अधिकार है. मृतक आश्रित नियुक्ति इस सामान्य अधिकार का अपवाद मात्र है. जो विशेष स्थिति से निपटने की योजना है.
कोर्ट ने सहायक अध्यापक पिता की मौत के समय 8 वर्ष के याची को बालिग होने पर बिना सरकार की छूट लिए की गई नियुक्ति को निरस्त करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश पर हस्तक्षेप से इंकार करने को सही करार दिया और इसकी चुनौती में दाखिल विशेष अपील को खारिज कर दिया है. यह आदेश जस्टिस एसपी केसरवानी और जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने नरेंद्र कुमार उपाध्याय की अपील पर दिया है.
यह उत्तराधिकार में नियुक्ति पाने का अधिकार नहींहाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति मृतक आश्रित को इसलिए दी जाती है कि परिवार की जीविका चलती रहे, यह उत्तराधिकार में नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियो को परिवार की आर्थिक स्थिति का आंकलन कर अचानक आये संकट में राहत देने के लिए जरूरी होने पर नियुक्ति देने का अधिकार है. आश्रित नियुक्ति के लिए दबाव नहीं डाला सकता. कर्मचारी की मौत परिवार की जीविका का श्रोत नहीं मानी जा सकती. जीविका चलाने के लिए जरूरी होने पर ही नियुक्ति की जानी चाहिए.
हाईकोर्ट ने बीएसए जौनपुर को दिया निर्देशगौरतलब है कि याची के पिता ज्ञान चंद्र उपाध्याय सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत थे. उनकी सेवा काल में 7 जुलाई को मौत हो गई. स्नातक के बाद याची ने आश्रित कोटे में 2007 में नियुक्ति की मांग की. हाईकोर्ट ने बीएसए जौनपुर को निर्णय लेने का निर्देश दिया. तो उसने 31 मार्च 2010 को बिना सरकार की अनुमति लिए नियुक्ति कर दी. याची प्राइमरी स्कूल सरैया ब्लाक खुटहन, जौनपुर में नियुक्ति था. 5 मई 20 12 को याची को नोटिस जारी की गई कि नियमों के विपरीत नियुक्ति रद्द क्यों न की जाए. याची ने जवाब नहीं दिया तो बीएसए ने 14 अप्रैल 2012 को याची की नियुक्ति निरस्त कर दी. जिसे चुनौती दी गई. हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. इसके खिलाफ विशेष अपील दाखिल की गई थी.

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