प्रयागराज. लिव इन रिलेशन (Live in Relationship) को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बेहद अहम फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दूसरे की पत्नी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे गजरौला अमरोहा के मोहित अग्रवाल और परिवार के तीन सदस्यों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने मोहित अग्रवाल व अन्य की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने याची को उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर की विवेचना में सहयोग करने का निर्देश दिया है.
याची दूसरे की पत्नी के साथ लिव- इन रिलेशनशिप में रह रहा है. हाईकोर्ट से उसे संरक्षण प्राप्त है. महिला के पति ने मारपीट, गाली गलौज व एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज कराई है, जो उसे मिले संवैधानिक संरक्षण के अधिकार का हनन है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और याचिका पर जवाब मांगा है.
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कपल्स ने कोर्ट से कहा कि उनकी जान और स्वतंत्रता को नजरअंदाज किया जा रहा है. सभी दलीलों पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा कि लिव इन रिलेशन जीवन का हिस्सा बन गए हैं और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई है. ‘लिव इन’ को भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने के अधिकार से मिली निजी स्वायत्तता के नजरिये से देखा जाना चाहिए न कि सामाजिक नैतिकता के नजरिये से.
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