Allahabad High court acquitted murder charges in ballia case but still accused life imprisonment upns

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Allahabad high court says high school certificate is valid evidence to decide the age of the criminal - इलाहाबाद HC ने कहा



प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बलिया (Ballia) में घर में आग लगाकर हत्या करने के मामले में सेशन कोर्ट का फैसला पलटते हुए आरोपी 12 लोगों को हत्या और जानलेवा हमले के आरोप से मुक्त कर दिया है. लेकिन इसके बावजूद सभी अभियुक्त जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे. अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा काटनी होगी. क्योंकि कोर्ट ने आवास जलाने के मामले में सुनाई गई उम्र कैद की सजा बरकरार रखा है. कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को हत्या और जानलेवा हमले के अलावा अन्य आरोपो में दोषी पाया है. कोर्ट ने इस मामले में जमानत पर चल रहे सात आरोपियों की जमानत निरस्त करते हुए उन्हें 15 दिन के भीतर अधीनस्थ अदालत में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है.
जबकि जेल में निरुद्ध चार आरोपियों को बची सजा पूरी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि घटना में घायल की गवाही अन्य गवाहों से अधिक विश्वसनीय होगी. घटना स्थल पर उसकी मौजूदगी ही विश्वसनीयता का कारण है. बशर्ते विपरीत साक्ष्य मौजूद न हो. हत्या व जानलेवा हमले के साक्ष्य मौजूद नहीं है. इसके आरोप में सजा सही नहीं मानी जा सकती. यह आदेश जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र और जस्टिस सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने राजेश उर्फ बच्चन यादव सहित चार आपराधिक अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है.
जानिए पूरा मामलाकोर्ट ने कहा कि जमानत पर रिहा आरोपी अधीनस्थ अदालत में सरेंडर नहीं करते तो अदालत उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी. गौरतलब है कि रजनीकांत यादव ने पकरी थाने में एक जनवरी 2006 को एफआईआर दर्ज कराई थी कि बासुदेव राजभर, कमला राजभर, गुड्डू राजभर, पंचरतन राजभर, राजकपूर गोंड, रामभवन राजभर, हरीशचंद राजभर, गामा राजभर, कविंद्र नाथ, रवींद्र नाथ, श्रवण कुमार, अजय चौहान, राजेश उर्फ बब्बन, संतोष, अरबिंद गौर, राजू, राजेश, जवाहर चौहान, ब्रह्मदेव चौहान व रमाशंकर राजभर और अन्य 20 लोग लाठी, डंडा, बल्लम व ईंट-पत्थर लेकर अचानक उसके घर पर चढ़ आए और गाली-गलौज करते हुए उसे व उसके चाचा राजेश यादव के साथ मारपीट की.
पिता चंद्र देव यादव और छोटा भाई घर के अंदर भागे तो आरोपियों ने बाहर से दरवाजा बंद कर दरवाजे पर पुआल आदि डालकर आग लगा दी. उसके पिता कमरे के बाहर आए तो आरोपियों ने उनका पीछा किया और उनके साथ मारपीट की. घटना के बाद अस्पताल ले जाते वक्त पिता की मौत हो गई जबकि अन्य लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए. पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. सत्र अदालत ने मामले में 12 आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई थी. आदेश दिया था कि सभी सजाएं एकसाथ चलेंगी. हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 307 और 302 के तहत दी गई सजा से आरोपियों को मुक्त कर दिया. जबकि अन्य धाराओं में सजा को बरकरार रखा है.

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