Aligarh Jama Masjid: भारत की वो मस्जिद, जिसके 17 गुंबद पर लगा है सोना ही सोना, क्यों कहते हैं शहीदों की बस्ती? ताजमहल से भी कनेक्शन!

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Agency:News18 Uttar PradeshLast Updated:February 06, 2025, 10:55 ISTAligarh Jama Masjid: उत्तर प्रदेश में एक मस्जिद 1728 में बनकर तैयार हुई थी. इसे कुछ लोग शहीदों की बस्ती भी कहते हैं. इसकी 17 गुंबद पर सोना लगा है.X

यूपी की इस मस्जिद के 17 गुंबद बने हैं सोने के,एक साथ 5000 लोग पढ़ सकते हैं नमाज़हाइलाइट्सअलीगढ़ जामा मस्जिद में 17 सोने के गुंबद हैं.मस्जिद में एकसाथ 5000 लोग नमाज पढ़ सकते हैं.इसे शहीदों की बस्ती भी कहा जाता है.Aligarh Jama Masjid: भारत की बहुत आलीशान मस्जिद! इसमें 100-200 नहीं 5 हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं. इस वजह से भी खास है क्योंकि मस्जिद के 17 गुंबद सोने से बने हैं. ये अनोखी जामा मस्जिद उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में बनी है.  इस जामा मस्जिद और ताजमहल में भी कई समानताएं भी हैं. अवधी व मुगलकालीन वास्तुकला का संगम है.

अलीगढ़ की जामा मस्जिद जानकारी देते हुए अलीगढ़ जामा मस्जिद कमेटी के सदस्य गुलरे अहमद ने बताया कि कहा जाता है ताजमहल बनाने वाले मुख्य इंजीनियर ईरान के अबू ईसा अंफादी के पोते ने जामा मस्जिद का निर्माण किया था. जामा मस्जिद के 17 गुंबदों को ठोस सोने से बनाया गया है. जबकि ताजमहल में केवल सोने की परत चढ़ाई गई है.

इस मस्जिद में लगभग 5 से 6 क्विंटल सोना लगा. साथ ही इस मस्जिद में लगभग 5,000 लोग एक साथ बैठकर नमाज अदा कर सकते हैं और इस मस्जिद में महिलाओं के अलग से नमाज अदा करने की जगह बनी हुई है.साथ ही यह मस्जिद शहर की सबसे ऊंची जगह पर बनी हुई है.

5 हजार से ज्‍यादा लोग पढ़ सकते हैं नमाजउन्होंने बताया कि करीब 300 साल पहले जामा मस्जिद का निर्माण कोल के गवर्नर साबित खान जंगे बहादुर के शासनकाल में साल 1724 में कराया गया था. इसके निर्माण में 4 साल लगे थे. तब जाकर यह साल 1728 में बनकर तैयार हुई थी. इस मस्जिद की खासियत यह है कि यहां एकसाथ 5000 लोग नमाज़ पढ़ सकते हैं. मस्जिद के गेट और चारों कोनों पर भी छोटी-छोटी मीनारें हैं जो इसकी खूबसूरती को दर्शाती है.

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क्यों कहा जाता है शहीदों की बस्ती?गुलजार अहमद बताते हैं कि अलीगढ़ जामा मस्जिद और ताजमहल की कारीगरी में बहुत समानताएं देखने को मिलती है. इस मस्जिद में 17 गुंबद हैं. अलीगढ़ की यह जामा मस्जिद देश की पहली मस्जिद है, जहां पर 1857 की क्रांति के 73 शहीदों की कब्रें हैं. इसलिए इसे गंज-ए-शहीदान यानी शहीदों की बस्ती भी कहा जाता है.
Location :Aligarh,Uttar PradeshFirst Published :February 06, 2025, 10:51 ISThomeuttar-pradeshभारत की वो मस्जिद, जिसके 17 गुंबद पर लगा है सोना ही सोना, ताजमहल से भी कनेक्शन

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