Akhilesh Yadav Om Prakash Rajbhar party alliance Uttar Pradesh Assembly Election change Purvanchal seats Politics nodelsp

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Akhilesh Yadav Om Prakash Rajbhar party alliance Uttar Pradesh Assembly Election change Purvanchal seats Politics nodelsp



लखनऊ. ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) 2022 का यूपी विधानसभा का चुनाव अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के साथ मिलकर लड़ने जा रही है. इस फैसले के साथ ही ये तौल-माप शुरु हो गई है कि आखिर इससे पूर्वांचल (Purvanchal) की सियासत पर क्या फर्क आयेगा. 2017 के चुनाव में भाजपा ने पूर्वांचल में बड़ी जीत दर्ज की थी. 156 में से 106 पर उसे जीत मिली थी. उसकी जीत में सुभासपा की भी बड़ी भूमिका मानी गई थी, लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं. तो क्या सुभासपा की वजह से भाजपा को जो फायदा मिला अब वो फायदा अखिलेश यादव को मिल सकेगा ?
इसे समझने के लिए पहले ये समझते हैं कि सुभासपा की असली ताकत है क्या. आंकड़ों को देखें तो सुभासपा जैसी जातिगत पार्टियों का अकेले चुनाव लड़ना व्यर्थ ही रहा है, लेकिन किसी बड़ी पार्टी के साथ गठबंधन होने पर एक और एक को ग्यारह होते देखा गया है. 2012 के चुनाव में सुभासपा 52 सीटों पर अकेले लड़ी थी. सीट तो कोई नहीं मिली उल्टे उसके 48 उम्मीद्वारों की जमानत भी जब्त हो गयी थी. उसे महज 5 फीसदी वोट मिले थे. इन आंकड़ों से पता चलता है कि सुभासपा तब एक बहुत कमजोर पार्टी थी, लेकिन नतीजे का दूसरा पहलू भी है जिसे भाजपा ने 2017 में भुनाया.
2012 के चुनाव में सुभासपा को पौने पांच लाख वोट मिले थे. 13 सीटों पर उसे 10 हजार से लेकर 48 हजार तक वोट मिले थे. तमाम सीटों पर उसे 5 हजार से ज्यादा वोट हासिल हुए थे. गाजीपुर, बलिया और वाराणसी की कुछ सीटों पर तो उसे भाजपा से भी ज्यादा वोट मिले थे. अकेले लड़कर इन वोटों का कोई मतलब नहीं निकला, लेकिन रणनीति बदली गयी. ओपी राजभर को समझ आ गया कि यदि किसी ऐसी पार्टी का वोट उनके साथ जुड़ जाये जिसका वोट शेयर 20 फीसदी से ज्यादा हो तो जीत पक्की हो जायेगी. भाजपा को भी ऐसे साथी की तलाश थी जिसके पास 5-10 हजार वोट हर सीट पर हो. इसी रणनीति को साधकर कई सीटों पर जीत हासिल की गयी. ओमप्रकाश राजभर को भी भाजपा के समर्थन से चार सीटें मिल गयीं. भाजपा के साथ लड़कर सुभासपा का वोट शेयर 5 फीसदी से बढ़कर 2017 में 34 फीसदी हो गया. पूर्वांचल में भाजपा ने जो ऐतिहासिक जीत दर्ज की उसमें सुभासपा की भूमिका को कोई इनकार नहीं करता है.
अब भाजपा से ओमप्रकाश राजभर के सियासी मतभेद हो गए हैं. फटाफट अखिलेश यादव ने 2022 के चुनाव के लिए उसी रणनीति को साध लिया जिसे 2017 में भाजपा ने साधा था. 2017 के चुनाव में जिन आठ सीटों पर सुभासपा लड़ी थी उनमें से तीन सीटों पर सपा दूसरे नंबर पर थी.
सुभासपा को कहां कितना मिला है वोट
अखिलेश यादव ने ओमप्रकाश राजभर को यूं ही साथ नहीं लिया है. उन्हें पूर्वांचल में बड़े फायदे की आस जगी है. इन कुछ आंकड़ों पर गौर करिये. 2012 के चुनाव में जिन सीटों पर सुभासपा ने अच्छा वोट हासिल किया था, उनमें से ज्यादातर सीटों पर 2017 के चुनाव में सपा दूसरे नंबर पर रही थी. कुछ सीटों पर उसकी सहयोगी कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी. बेल्थरा रोड, हाटा, सिकंदरपुर, जखनियां, शिवपुर और रोहनियां में सुभासपा को 2012 में 10 हजार से 35 हजार तक वोट मिले थे और 2017 में सपा इन सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. फेफना और जहूराबाद में सपा तीसरे नंबर पर रही थी, लेकिन उसे दूसरे नंबर की पार्टी बसपा से थोड़े ही कम वोट मिले थे. यानी सुभासपा के वोट सपा के साथ जुड़ जाते तो जीत तय थी. ऐसी सीटों की संख्या 20 से ज्यादा है. ये एक बड़ा नंबर है. इसी समीकरण से अखिलेश यादव को पूर्वांचल में जीत की उम्मीद जगी होगी.
अनिल राजभर कितना दिलाएंगे बीजेपी को फायदा
हालांकि भाजपा ने ओमप्रकाश राजभर की कमी को पूरा करने के लिए अनिल राजभर को मंत्री पद दे रखा है. साथ ही पूर्वांचल में अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद भी उसके साथ हैं. फिर भी इस नये गठबंधन की काट तो खोजी जा ही रही होगी.
पूर्वांचल में जिसकी जीत उसकी ही बनी सरकार
बता दें कि पूर्वांचल में जिस भी पार्टी ने बाज़ी मारी है, प्रदेश में उसकी सरकार बनी है. 2017 में भाजपा को 26 जिलों की 156 विधानसभा सीटों में से 106 पर जीत मिली थी. 2012 में सपा को 85 सीटें जबकि 2007 में बसपा को भी 70 से ज्यादा सीटें पूर्वांचल से मिली थीं. यही वजह है कि अभी से ही भाजपा के सारे कार्यक्रम ज्यादातर पूर्वांचल में ही हो रहे हैं. खुद पीएम नरेन्द्र मोदी कई दौरे कर चुके हैं.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.



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