Akhilesh Yadav expels Richa Singh Roli Tiwari from Party for criticizing SP Maurya behind SP every move there is 2024 plan

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Akhilesh Yadav expels Richa Singh Roli Tiwari from Party for criticizing SP Maurya behind SP every move there is 2024 plan



लखनऊ: समाजवादी पार्टी (SP) ने पूर्व मीडिया पैनलिस्ट रोली तिवारी और ऋचा सिंह को अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए निष्कासित कर दिया है. कहा जा रहा है कि दोनों के खिलाफ यह कार्रवाई रामचरितमानस को लेकर सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना करने पर की गई है. इस घटनाक्रम पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि समाजवादी पार्टी विकास नहीं चाहती है और केवल लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है.

समाजवादी पार्टी की इन दोनों महिला नेत्रिओं ने एसपी मौर्य के उन बयानों की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट डाले थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस में महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के लिए अपमानजनक बातें लिखी हैं. ऋचा सिंह ने इलाहाबाद पश्चिम सीट से सपा के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. रोली तिवारी मिश्रा आगरा की रहने वाली हैं.

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उत्तर प्रदेश

दोनों महिला नेत्रियों पर सपा की कार्रवाई का राजनीतिक महत्वयह देखा जा सकता है कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ब्राह्मणों पर अपना ध्यान केंद्रित करने वाली समाजवादी पार्टी अब धीरे-धीरे 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पिछड़ी जातियों के वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है. पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद सामने आई भाजपा की कथित ‘ब्राह्मण विरोधी छवि’ को भुनाने की कोशिश कर रहे थे. उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस समय एक धारणा को लोकप्रिय बनाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ‘राजपूत समर्थक’ हैं; क्योंकि वह उस जाति से आते हैं.

उन्हें लखनऊ में समाजवादी पार्टी के नेताओं द्वारा निर्मित एक मंदिर में भगवान परशुराम की पूजा करते हुए भी देखा गया था. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर, जहां मंदिर स्थित है, होर्डिंग लगाए गए थे, जिन पर नारा लिखा था ‘ब्राह्मण का संकल्प, अखिलेश ही विकल्प’. अखिलेश यादव ने यह भी कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो परशुराम जयंती को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाएगा. हालांकि, सपा और अखिलेश का यह प्रयास यूपी विधानसभा चुनाव में कोई परिणाम हासिल करने में विफल रहा. इसलिए आम चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी फिर से अपना रुख बदलती दिख रही है.

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ऋचा-रोली का निष्कासन 2024 के लिए सपा की योजना का हिस्सा?रामचरितमानस विवाद में स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में बोलते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया. पिछले साल भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए एसपी मौर्य को उनकी टिप्पणी के लिए ‘दंडित’ किए जाने के बजाय पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पदोन्नति दी गई. अपने बयान पर विवाद बढ़ने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने सफाई देते हुए कहा, ‘मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं, लेकिन किसी भी धर्म या किसी भी व्यक्ति को गालियां देने की अनुमति नहीं हो सकती. मैंने केवल एक विशेष हिस्से पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है जिसमें महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों पर अपमानजनक टिप्पणी की गई है. मैंने चौपाई के केवल उन हिस्सों को हटाने की बात कही है.’

सपा रामचरितमानस विवाद को दलितों और ओबीसी, विशेष रूप से गैर-यादवों और अति पिछड़ी जातियों को लुभाने के एक अवसर के रूप में देख रही है. एक अनुमान के मुताबिक यूपी की आबादी में अति पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी 21.30 प्रतिशत है और इसमें 70 जातियां शामिल हैं. द ​प्रिंट की एक रिपोर्ट में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख शशिकांत पांडे के हवाले से कहा गया है कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले एक नैरेटिव तैयार किया जा रहा है.

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शशिकांत पांडे के मुताबिक, ‘जाटव (उत्तर प्रदेश में प्रमुख दलित उपजाति) को अब तक बहुजन समाज पार्टी के मतदाता के रूप में देखा जाता रहा है, जबकि यादव और मुस्लिम सपा के समर्पित वोटर माने जाते हैं. भाजपा ने 2014 से कुर्मी, कोइरी, निषाद, मल्लाह आदि सहित उच्च जातियों, गैर-जाटव दलितों और ओबीसी के वोटों पर पकड़ बना ली है. अब 2024 से पहले, सपा दलितों और अति पिछड़ा वर्ग तक पहुंचने का एक अवसर देख रही है, यही वजह है कि ‘शूद्र’ शब्द के इर्द-गिर्द जानबूझकर नैरेटिव सेट किया जा रहा है.’
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