अजमेर शरीफ पर मांगें मुराद, सहारनपुर में होगी कबूल, जानेेें कैसे

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Last Updated:January 18, 2025, 22:28 ISTSaharanpur news : अजमेर शरीफ पर मांगी गई मुराद को सूफ़ी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के भांजे मखदूम शाह की मजार पर मांगी गई मन्नतों को कबूल किया जाता है.X

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के भांजे मखदूम शाह की मजार पर मन्नते होती है कबूलसहारनपुर. राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह मुसलमानों के साथ-साथ हिंदुओं की आस्था का भी बड़ा केंद्र है. अजमेर शरीफ देश के पवित्र मुस्लिम तीर्थस्थलों में से एक है. यहां सभी धर्मों और आस्थाओं के लोग आते हैं. यह दरगाह सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का समाधि स्थल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अजमेर शरीफ दरगाह के लिए हर साल अपनी चादर भेजते हैं.

लेकिन क्या आपको पता है कि अजमेर शरीफ पर मांगी गई मुराद को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के भांजे मखदूम शाह की मजार पर भी कबूल किया जाता है. ये मजार सहारनपुर जिले के कस्बा सरसावा में है. मखदूम शाह की मजार लगभग 750 साल पुरानी है. कहा जाता है कि मखदूम शाह ने यहां पर कई बड़े चमत्कार दिखाए हैं. दूर-दूर से लोग यहां पर चादर चढ़ाने आते हैं. हर साल यहां एक बड़ा उर्स होता है, जिसमें हजारों लोग पहुंचते हैं.

कहा जाता है कि जो व्यक्ति अजमेर शरीफ नहीं जा सकता, वो यहां पहुंचकर अजमेर शरीफ पर मांगी गई मन्नतों को उतार सकता है. अजमेर शरीफ पर मांगी गई मन्नत यहां पर कबूल की जाती हैं. मखदूम शाह की मजार पर रहने वाले सेवादार रजब अली ने लोकल 18 को बताया कि सैकड़ों की संख्या में सभी धर्मों के लोग यहां पर अपनी श्रद्धा के अनुसार मन्नतें मांगने आते हैं. मखदूम शाह की मजार पर चादर चढ़ाई जाती है लेकिन कुछ लोग यहां झाड़ू और नमक भी चढ़ते हैं.

मखदूम शाह की मजार पर हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लोग चादर चढ़ाने पहुंचते हैं. हर साल यहां पर 10 दिन के बड़े उर्स का आयोजन होता है. प्रसाद के रूप में यहां इलायची दाना दिया जाता है. जिन लोगों के शरीर पर फुंसी, फोड़े, मस्से हो जाते हैं वे लोग यहां पर झाड़ू और नमक चढ़ाते हैं. कहा जाता है कि इससे उनके शरीर फुंसी, फोड़े और मस्से निकालने बंद हो जाते हैं.
First Published :January 18, 2025, 22:28 ISThomeuttar-pradeshअजमेर शरीफ पर मांगें मुराद, सहारनपुर में होगी कबूल, जानेेें कैसे

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