मुजफ्फरनगर. संभल और वाराणसी के बाद अब पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में भी मुस्लिम आबादी के बीच एक शिव मंदिर खंडहर अवस्था में मिला है. दरअसल नगर कोतवाली क्षेत्र के खालापार मोहल्ले में 54 साल पहले 1970 में भगवान शिव शंकर के मंदिर की स्थापना की गई थी. उस समय ये क्षेत्र हिन्दू बाहुल्य हुआ करता था. लेकिन धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी बढ़ने के बाद हिंदू समाज के लोग यहां से पलायन कर गए और यह मंदिर खंडहर में तब्दील हो गया. आपको बता दें कि इस समय ये मंदिर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में होने के चलते इस मंदिर ना तो कोई हिन्दू पूजा अर्चना करने के लिए ही आता है और ना ही इस मंदिर में इस समय किसी भगवान की मूर्ति स्थापित है.
बताया जाता है कि राम मंदिर विवाद के बाद हुए दंगों के समय यहां पर रहने वाले हिंदू समाज के लोग इस मोहल्ले को छोड़कर दूसरी जगह पलायन कर गए थे, पलायन करते समय ये लोग अपने साथ इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग और अन्य भगवानों की मूर्ति को भी ले गए थे. जिसके बाद से इस मोहल्ले में लगातार मुस्लिम समाज की आबादी बढ़ती चली गई और यह मंदिर खंडहर हालत में तब्दील हो गया.
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1970 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी, लेकिन मुस्लिम आबादी बढ़ी तो…इस मंदिर के बारे में जहां अधिक जानकारी देते हुए यहां से पलायन करने वाले परिवार के सुधीर खटीक नाम के एक भाजपा नेता ने बताया कि सबसे पहले 1970 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी वहां पूजा अर्चना लगातार होती रही इसके बाद कुछ वहाँ जैसे ही यह राम मंदिर का मुद्दा रहा तो वहां मुस्लिम बहुत तादाद में बढ़ते रहे और हिंदू वहां से पलायन कर गए जैसे-जैसे हिंदू पलायन करने लगा वहां से कुछ लोगों ने क्योंकि जब वहां मुस्लिम आबादी बढ़ी. यहां मीट की दुकान खोली तो वहां पूजा अर्चना करना असंभव सी हो गई थी तो लोगों ने फिर वहां से जो हिंदू समाज के लोग थे; वहां से मूर्तियां विस्थापित करके 1990 -91 में अन्य मंदिर में ले आए और फिर वहां उन्होंने जो हिंदू रीति रिवाज होते हैं. उन्हीं के अनुसार उनकी पूजा अर्चना शुरू कर दी.
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मंदिर खंडहर हुआ, आसपास के मकानों से छज्जे निकाल लिएमंदिर के आसपास जो लोगों ने अतिक्रमण किया है कुछ लोगों ने अपने छज्जे निकाल लिए. पहले मंदिर का काफी स्थान था. मंदिर वहां यथावत है लेकिन उसमें पूजा अर्चना नहीं हो रही है. जब राम मंदिर का मुद्दा चल रहा था उन दिनों वह चरम पर था चाहे वह 1989 का हो 90 में हो 92 में हो 96 में वहां दंगा हुआ और उसके बाद फिर जैसे मुस्लिम आबादी बढ़ती गई तो हिंदू लोग वहां से पलायन कर गए फिर कोई वहां पूजा करने नहीं गया.
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