सोनभद्र. ग्लोबल वार्मिंग से जूझती दुनिया में वनों का महत्त्व बढ़ गया है. हम अपने अस्तित्व के लिए वनों पर निर्भर हैं. वनों से हमें ऑक्सीजन मिलती है. ये जानवरों के आवास हैं, मनुष्यों के लिए आजीविका के स्रोत हैं, जलग्रहण क्षेत्रों को संरक्षित करते हैं और मिट्टी के कटाव को कम करते हैं. यूं समझिए वन नहीं तो कुछ नहीं. इतना जरूरी होने के बावजूद अगर पता चले की वन क्षेत्र लगातार घट रहा हो तो कैसा लगेगा.
कुछ ऐसी ही हाल है उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा वन क्षेत्र वाले जिले सोनभद्र का, जहां बीते चार वर्षों में वनों का क्षेत्र लगातार घटा है. बीते चार साल में यहां कुल 137 वर्ग किमी वन क्षेत्र कम हुआ है. सबसे ज्यादा कमी सामान्य और खुले वन में आई है.
वर्ष 2019 में सोनभद्र में सामान्य सघन वन का दायरा 967 वर्ग किमी था, जो भारतीय वन सर्वे की ताजा रिपोर्ट में घटकर 927 वर्ग किमी ही रह गया है. इसकी अपेक्षा झाड़ियों का दायरा बढ़ा है.वर्ष 2019 में 28 प्रतिशत झाड़ियां दर्ज की गईं, जो अब बढ़कर 42 प्रतिशत तक पहुंच चुकी हैं. हालांकि राहत की बात ये है कि अत्यंत सघन वन में लगातार वृद्धि हो रही है.
कुल 6905 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले सोनभद्र का दो तिहाई हिस्सा वन क्षेत्र है. यहां सोनभद्र, रेणुकूट और ओबरा के रूप में तीन वन प्रभाग हैं. जिले के वनों की देखरेख का जिम्मा इन्हीं का है. वन्य जीवों की देखभाल के लिए कैमूर वन्य जीव प्रभाग अलग से है.
खुले में कटाई
सोनभद्र में वन कर्मचारियों की बड़ी संख्या होने के बाद भी वन क्षेत्रफल में लगातार गिरावट आ रही है. यह स्थिति तब है, जब पिछले तीन साल में करीब चार करोड़ नए पौधे रोपे गए हैं. हर साल बड़ी संख्या में पौधरोपण के बाद भी वनों का घटता दायरा चिंता का विषय है. इसकी बड़ी वजह वनों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही है. संरक्षित क्षेत्रों में तो लगातार निगरानी और सख्ती के चलते वन सुरक्षित हैं, लेकिन खुले क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से चल रही है.
अवैध कटानरेणुकूट वन प्रभाग में म्योरपुर, बीजपुर और बभनी थाना क्षेत्रों में पिछले एक साल में खैर, साखू और शीशम जैसी इमारती लकड़ियों की कटाई के कई मामले सामने आए हैं. ओबरा और सोनभद्र वन प्रभाग में भी अवैध कटान देखने को मिलते रहते हैं. नई सड़कों और परियोजनाओं के कारण भी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हुई है. बदले में नए पौधे भी लगाए गए हैं, लेकिन ज्यादातर जगहों पर देखरेख के अभाव में सूख गए.
बचे सिर्फ ठूंठसरकार ने बीती जुलाई में वन महोत्सव के दौरान 1.55 करोड़ पौधे लगवाए थे. वन विभाग को छोड़ दें तो ज्यादातर विभाग पौधे लगाकर भूल गए. समुचित देखभाल न होने से पौधों की जगह सिर्फ ठूंठ बची है. कई जगह तो वो भी नदारद हैं.
क्या है मूल कारणवरिष्ठ पत्रकार राजेश गोस्वामी कहते हैं कि सोनभद्र में लगातार घटता वन क्षेत्र का आंकड़ा चिंताजनक है. इसकी बड़ी वजह है कि वन क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण को बढ़ावा, रोपे गए पौधों की देखभाल का अभाव और जंगली पेड़ों की तस्करी.
Tags: Local18, Sonbhadra NewsFIRST PUBLISHED : January 5, 2025, 15:55 IST