नोएडा. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा गाजियाबाद (Greater Noida And Ghaziabad) में वायु प्रदूषण (Air Pollution) की स्थिति धीरे- धीधे खराब होती जा रही है. यही वजह है कि शनिवार को दिल्ली- एनसीआर (Delhi- NCR) में वायु प्रदूषण बेहद खराब स्तर पर यानी ‘रेड जोन’ में पहुंच गया. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समीर ऐप के अनुसार शनिवार को एनसीआर में ग्रेटर नोएडा का वायु प्रदूषण सूचकांक (एक्यूआई) 337 दर्ज किया गया, इसके बाद गाजियाबाद में एक्यूआई 324 रहा, जबकि नोएडा का एक्यूआई 283 रहा. वहीं, बल्लभगढ़ में एक्यूआई 245, फरीदाबाद में 243 तथा गुरुग्राम में 293 दर्ज किया गया. बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
अधिकारियों के अनुसार, गाड़ियों से निकलने वाला काला धुआं, निर्माण कार्यों के कारण उड़ने वाले पीएम कणों, सड़कों पर फैली धूल, उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन और पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली वायु प्रदूषण के कुछ मुख्य कारक हैं. उल्लेखनीय है कि शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ते हैंबता दें कि आज ही खबर सामने आई थी कि ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र का कहना है कि ठंड का मौसम आते ही रेस्पिरेटरी बीमारियां (Respiratory Illnesses) बढ़ने लगती हैं. वहीं जब प्रदूषण स्तर (Pollution Level) ऊंचा होने लगता है तो ये बीमारियां काफी खतरनाक हो जाती हैं. सर्दी का मौसम आने पर अक्सर हार्ट अटैक (Heart Attack) और ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) के मामले तेजी से बढ़ते हैं. वहीं, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के जो हालात अभी पैदा हुए हैं. उसके बाद कई बीमारियां बढ़ने की संभावना और हो गई है. इनमें फेफड़ों की बीमारियां सीओपीडी (COPD), श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे दमा या अस्थमा, सीने में दर्द और हीमोपटाइसिस यानी बलगम में खून आना, तपेदिक या टीबी (TB), फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer) आदि.
(इनपुट- भाषा)
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Rs 92 crore seized through anti-Naxal operations, severe psychological damage inflicted on ‘urban naxals’: Centre
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