AIIMS doctors did successful surgery of 19 year old girl whose spine bent 125 degree to due rare disease | 125 डिग्री झुकी रीढ़ की हड्डी, एम्स के डॉक्टरों ने किया चमत्कार; दो सर्जरी के बाद युवती को मिली नई जिंदगी!

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AIIMS doctors did successful surgery of 19 year old girl whose spine bent 125 degree to due rare disease | 125 डिग्री झुकी रीढ़ की हड्डी, एम्स के डॉक्टरों ने किया चमत्कार; दो सर्जरी के बाद युवती को मिली नई जिंदगी!



12 साल की उम्र में रीढ़ की हड्डी में आई टेढ़ापन को नजरअंदाज करना कनिष्का और उसके परिवार को भारी पड़ गया. झोलाछाप डॉक्टर की सलाह पर इलाज टालने और उम्र बढ़ने का इंतजार करते-करते उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि रीढ़ की हड्डी 125 डिग्री तक झुक गई. 19 साल की कनिष्का न सिर्फ दर्द से जूझ रही थी, बल्कि सीधा खड़ा होना भी उसके लिए असंभव हो गया था. लेकिन एम्स के डॉक्टरों की टीम ने कॉम्प्लिकेटेड सर्जरी के जरिए न केवल उसकी रीढ़ को सीधा किया, बल्कि उसे अपने पैरों पर खड़ा होने का मौका भी दिया.
दैनिक जागरण न्यूज पेपर में छपी एक खबर के अनुसार, दिल्ली की रहने वाली 19 वर्षीय कनिष्का जन्म से ही रीढ़ की अजीबो-गरीब बीमारी काइफोसिस से पीड़ित थी. इस बीमारी की वजह से कनिष्का की रीढ़ की हड्डी असामान्य रूप से 125 डिग्री तक झुक गई थी. माता-पिता के झोलाछाप डॉक्टर की सलाह मानने और सही समय पर इलाज न कराने के कारण यह दिक्कत बढ़ती चली गई.
12 साल में नजर आई समस्याकनिष्का की मां राधा ने बताया कि जब उनकी बेटी 12 साल की थी, तब रीढ़ के झुकने की समस्या पहली बार नजर आई. एक झोलाछाप डॉक्टर ने कहा कि उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या ठीक हो जाएगी. इस भरोसे में उन्होंने किसी बड़े अस्पताल में इलाज नहीं कराया. लेकिन समय के साथ कनिष्का की समस्या इतनी बढ़ गई कि वह सीधा खड़ा होने और रोजमर्रा काम करने में भी असमर्थ हो गई.
एम्स में दो चरणों में हुई सर्जरीसमस्या गंभीर होने पर कनिष्का को एम्स ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी रीढ़ की स्थिति की डिटेल जांच की. एम्स के आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. भावुक गर्ग के नेतृत्व में सर्जरी का प्लान बनाया. पहले ऑपरेशन 18 नवंबर को हुआ, जिसमें डी-8 वर्टिब्रा से एस2 तक विशेष स्क्रू लगाकर रीढ़ को स्थिर किया गया. यह प्रक्रिया साढ़े तीन घंटे चली. एक हफ्ते बाद दूसरे ऑपरेशन में वर्टिब्रल कॉलम रिसेक्शन (VCR) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एल-1, एल-2 और एल-4 के झुके हिस्सों को हटा कर रीढ़ को सीधा किया गया.
सर्जरी के बाद चमत्कारी सुधारसर्जरी के तुरंत बाद कनिष्का की स्थिति में 68.8 प्रतिशत सुधार हुआ. चौथे दिन वह सहारे से खड़ी होने लगी और उसकी ऊंचाई भी बढ़ गई. डॉक्टरों का कहना है कि कुछ समय में वह बिना सहारे चल सकेगी.



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