समस्तीपुर. बिहार के विभिन्न जिलों के किसान काफी बढ़ चढ़कर गेहूं की फसल अपने खेत में लगाते हैं, लेकिन खरपतवार के कारण गेहूं की फसल का बर्बाद होने का खतरा रहता है. ऐसे में किसानों को अपने खेत में लगे गेहूं की फसल पर ध्यान देना जरूरी है.वैज्ञानिक के अनुसार ग्रामीण इलाकों के किसान खरपतवार पर नियंत्रण के लिए सही समय अपने खेतों पर ध्यान नहीं रखते हैं. ऐसी परिस्थिति में खरपतवार बड़े होने के साथ-साथ गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है. जिससे फसल उत्पादन में कमी आती है. किसानों को नुकसान होता है.बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया पूसा के प्रधान कृषि वैज्ञानिक व संस्थान के हेड डॉ. राजकुमार जाट ने बताया कि किसान इस तकनीक के जरिए विभिन्न तरीकों से यानी रासायनिक, यंत्रियो और पारंपरिक विधियों से खरपतवार नियंत्रित कर सकते हैं.उन्होंने बताया कि एकिकृत खरपतवार प्रबंध शाकनाशियों पर निर्भरता को कम करता है. खरपतवारों के सफल नियंत्रण या उन्मूलन की संभावना को बढ़ाता है. उन्होंने बताया कि खरपतवार प्रकाश, पानी, स्थान और पोषक तत्वों के लिए गेहूं की फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करता है. अगर खरपतवार को ठीक से नियंत्रित न किया जाए तो खरपतवार के कारण मुख्य फसल की उपज में 20 से 30 फीसदी की कमी हो जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ खरपतवार तो गेहूं की फसल को हानि पहुंचाने वाला कीट पतंगों तथा रोगों के लिए एक वैकल्पिक भगवान के रूप में भी कार्य करता है.वैज्ञानिक डॉक्टर जाट ने बताया कि गेहूं की फसल में दो प्रकार के खरपतवार पाए जाते हैं. पहला चौड़ी पत्ती वाला खरपतवार (डाइकोट) और दूसरा संकरी पत्ती वाले रानी (मोनोकॉट) खरपतवार को रासायनिक विधि के अलावा मलिचंग, अंतर फसल, फसल चक्र क्रॉप, रोटेशन जीरो, टिलेज और निराई गुड़ाई जैसे तरीकों से प्रबंधित किया जा सकता है.उन्होंने बताया कि बिहार के 70 फीसदी से अधिक गेहूं के खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार पाए जाते हैं. जिन्हें मैट्सल्फ्यूरोन मिथाइल, कार्फेट्राजोन-एथिल और 2 डी, 4 डी जैसी दवाओं के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है. संकरी पत्ती वाले खरपतवार के नियंत्रण के लिए किसानों को सल्फोसल्फ्यूरोन, क्लोडिनाफॉप प्रोपरगिल और फेनोक्साप्रॉप पी एथिल जैसी शाकनाशीय का प्रयोग लाभकारी होता है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : December 27, 2022, 12:13 IST
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