Agra News: नज़्म के पितामह कहे जाने वाले नज़ीर अकबराबादी की क़ब्र को लोगों ने बनाया कूड़े का ढेर 

admin

Agra News: नज़्म के पितामह कहे जाने वाले नज़ीर अकबराबादी की क़ब्र को लोगों ने बनाया कूड़े का ढेर 



रिपोर्ट – हरिकांत शर्माआगरा. 18 वीं सदी का सबसे बड़ा शायर, जिसके खाते में दो लाख से ज्यादा नज़्में है. इस शायरी के पितामह कहे जाने वाले नज़ीर अकबराबादी को आगरा वासियों ने ही बेगाना कर दिया. वैसे तो आगरा को कला और साहित्य की नगरी कहा जाता है और सभी लेखक और साहित्यकार को इस मोहब्बत की नगरी ने अपने आंचल में जगह दी है. लेकिन नज़ीर अकबराबादी को यहां के लोगों ने बेगाना कर दिया.उनकी और उनके परिजनों की क़ब्र ताजगंज इलाके में है. उनकी क़ब्र पर अब आवारा जानवर घूमते रहते हैं, चारों तरफ गंदगी है. स्थानीय लोग उनकी कब्र पर बैठकर शराब का सेवन करते हैं ,जुआ खेलते हैं .लेकिन कोई भी साहित्यकार , कलाप्रेमी या लेखक इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता. यहां तक कि इसे संरक्षित स्मारक घोषित नहीं किया गया.धर्मनिरपेक्षता का सबसे बड़ा उदाहरण थे नजीरवैसे तो नज़ीर अकबराबादी का जन्म 1735 में दिल्ली में हुआ, लेकिन उनका ज्यादातर वक्त आगरा में बीता . उन्होंने अंतिम सांस भी 1835 में आगरा में ही ली. नज़ीर आम लोगों के कवि थे. उन्होंने आम जीवन, ऋतुओं, त्योहारों, फलों, सब्जियों आदि विषयों पर लिखा. उन्होंने मुस्लिम होते हुए कृष्ण पर, मीरा पर, गुरुनानक जी पर लिखा . वह धर्म-निरपेक्षता के ज्वलंत उदाहरण हैं . कहा जाता है कि उन्होंने लगभग दो लाख रचनायें लिखीं. परन्तु उनकी छह हज़ार के करीब रचनायें मिलती हैं और इन में से 600 के करीब ग़ज़लें हैं. उनकी सबसे प्रसिद्ध व्यंगात्मक रचना बंजारानामा है . आपने अपनी तमाम उम्र आगरा में बिताई जो उस वक़्त अकबराबाद के नाम से जाना जाता था. कहा जाता है कि नजीर अकबराबादी का झुकाव हिंदू धर्म के प्रति था. आखिरी समय में नज़ीर को इसी वजह से बेगाना कर दिया गया.गंदगी पर क्या बोले स्थानीय निवासी ?25 जनवरी को नज़ीर की क़ब्र पर हर साल नज़्म का कार्यक्रम किया जाता है. जिसमें शहर भर के साहित्यकार और कवि इकट्ठे होते हैं .ये कार्यक्रम सदियों से चला आ रहा है .यह कार्यक्रम आपसी भाईचारे और सौहार्द की मिसाल है. लेकिन साल में एक बार ही उनके कब्र की सफाई होती है .बाकी दिनों में यहां आवारा जानवर घूमते हैं. स्थानीय निवासियों द्वारा ,कब्र के बगल में कूड़ा घर बना दिया गया है. साहित्यकारों ने कहा है कि इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन होना चाहिए. जिससे इसकी देखभाल हो सके. लेकिन खुद स्थानीय निवासी ही उनकी मजार को गंदा करते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : January 26, 2023, 08:45 IST



Source link