अंजली शर्मा/कन्नौज: कन्नौज में करीब 70 फीसदी किसानी क्षेत्र है और यहां किसान बड़े पैमाने पर खेती करते हैं. ऐसे में किसान सावधानियां बरत कर अपने फसलों की उर्वरकता को कई गुना बढ़ा सकते हैं. किसान अगर नर्सरी से पौध लेने के तुरंत बाद पौधों को खेतों में रोपित कर देते हैं तो उनको बहुत लाभ मिलेगा, लेकिन अगर इसी प्रक्रिया में थोड़ी सी भी देरी की गई तो जमीन से दूर होने के बाद पौध में कई तरह की समस्या आ सकती है. उनमें पौध ढीला हो जाना, उसमें पीलापन आ जाना और उसका प्रोडक्शन कम हो जाने की दिक्कत हो सकती है.पौध को कब करें रोपितअक्सर देखा जाता है कि किसान नर्सरी लगाने के बाद पौध को निकाल कर अलग रख देते हैं. उसके बाद धीरे-धीरे पौध को खेतों में ले जाकर लगाया जाता है. ऐसे में पौध और मिट्टी के बीच काफी गैप हो जाता है जिस कारण पौध को अंदरुनी रूप से बहुत नुकसान होता है. पौध में ढीलापन आ जाता है और उसमें पीलेपन की संभावना अधिक हो जाती है. इसका असर पौध के प्रोडक्शन पर पड़ता है. ऐसे में किसानों को जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी नर्सरी से निकलने के बाद पौध को सीधे खेतों में रोपित कर देना चाहिए.बारिश के पानी को बचाएंबारिश का पानी खेतों में भरने के बाद वह पानी तालाबों और पोखरों में चला जाता है. खेतों में भरने वाला पानी फसलों के लिए अमृत के समान होता है क्योंकि पूर्व में जो रासायनिक तत्व खेतों में प्रयोग होते हैं वह उनके काम आता है. अगर पानी के भराव को बहा दिया जाए तो उससे किसानों को नुकसान हो सकता है. किसानों को उस पानी को बचाना चाहिए ताकि खेतों में जो पहले की फसलों में उर्वरक रासायनिक तत्व डाले गए हैं तो उनकी मजबूती बनी रहे और पौधा और मजबूत हो.क्या बोले अधिकारीकृषि रक्षा अधिकारी अभिशंक सिंह चौहान बताते हैं कि किसान नर्सरी लगाने के बाद कई तरह की गलतियां करते हैं जिससे, उनको फसल के उत्पादन में काफी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में किसान अगर नर्सरी लगाने के बाद पौध को तुरंत खेतों में लगा दें तो पौध की मजबूती होगी और इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ेगी. अगर थोड़ी सी भी देरी से पौध को लगाया जाता है तो उसे जमीन से हटाने के बाद पौध ढीला हो जाता है और उसमें पीलापन की समस्या आ जाती है. इससे उत्पादन भी काम हो जाता है. किसानों को चाहिए कि एक तरफ से नर्सरी लगे और दूसरी तरफ से पौधों को सीधे खेतों में लगाया जाए.FIRST PUBLISHED : July 22, 2024, 21:51 IST