India vs Australia: ऑस्ट्रेलिया के लिए 2001 का भारत दौरे किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा. आज भी उस टीम के सदस्यों में वह खौफ कायम है. सौरव गांगुली की कप्तानी वाली टीम ने ऐसा प्रदर्शन किया कि कंगारू हैरान रह गए. तब ऑस्ट्रेलियाई टीम 16 मैचों को जीतकर भारत आई थी और उसके क्रम को गांगुली की टीम ने तोड़ दिया. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में पहले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया ने 10 विकेट से जीत हासिल की थी, लेकिन कोलकाता में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच ने ऑस्ट्रेलियाई टीम की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. भारत ने फॉलो ऑन के बाद शानदार वापसी की और मैच को जीत लिया. वीवीएस लक्ष्मण ने 281 और राहुल द्रविड़ ने 180 रन की नाबाद पारियां खेलीं. इसके अलावा, हरभजन सिंह की ऐतिहासिक हैट्रिक और सीरीज में 32 विकेट ने अहम भूमिका निभाई. भारत ने 2-1 से सीरीज को जीतकर इतिहास रच दिया.
पोंटिंग के चोटिल होने पर कप्तान बने थे गिलक्रिस्ट
2004 में जब ऑस्ट्रेलिया फिर से भारत दौरे पर आया, तो 2001 की यादें ताजा हो गईं. उस समय कप्तान रिकी पोंटिंग चोटिल थे और गिलक्रिस्ट को कप्तानी सौंपी गई थी. गिलक्रिस्ट ने एक पॉडकास्ट में कहा, ”मैं पूरी तरह से घबरा गया था जब हम इंग्लैंड में चैंपियंस ट्रॉफी खेल रहे थे. हम एजबेस्टन में थे और पोंटिंग ने अंगूठे पर गेंद लगने के बाद मैदान छोड़ा था. वह आमतौर पर मैदान से बाहर नहीं जाते थे, चाहे चोट कितनी भी गंभीर हो. लेकिन वह चले गए और वापस नहीं आए. हमें एहसास हुआ कि वह उस टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं और भारत नहीं जा पाएंगे.”
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2001 की बुरी याद
गिलक्रिस्ट को जब 2004 में भारत दौरे पर कप्तानी मिली तो वह डर गए थे. उन्होंने कहा, ”2001 की यादों के कारण मैं सीधे तौर पर घबराने लगा था. वह एक अद्भुत सीरीज थी. व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए एक अजीब टेस्ट मैच सीरीज थी. मैंने पहले टेस्ट में शतक बनाया था, लेकिन फिर ईडन गार्डन्स में लगातार दोनों पारियों में शून्य पर आउट हुआ था. इसके बाद आखिरी टेस्ट में 1-1 रन बनाए थे.”
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2004 में भारत आने से पहले दबाव में थे गिलक्रिस्ट
गिलक्रिस्ट ने कहा, ”मैं मानसिक रूप से उस दौरे के अंतिम हिस्से से दबा हुआ था. मैं सामान्य रूप से वहां वापस जाने के लिए तैयार नहीं था और फिर कप्तानी की जिम्मेदारी भी मेरे कंधों पर थी, तो मैं और भी कम आश्वस्त था.” हालांकि, 2004 में ऑस्ट्रेलिया ने 35 साल बाद पहली बार भारतीय धरती पर टेस्ट सीरीज जीती. पोंटिंग के आने से पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीत ली थी. जेसन गिलेस्पी-शेन वार्न की गेंदबाजी और डेमियन मार्टिन की बल्लेबाजी की बदौलत उसे 2-1 से जीत मिली थी.