विशाल भटनागर/ मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ की बात करें तो लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में संचालित सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट में जहां मरीजों को बेहतर सुविधाओं के बीच इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं पेरीटोनियल डायलिसिस के बारे में भी विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. जिसके बाद जो पानी वाली डायलिसिस होती है, उसको मरीजों के तीमारदार घर बैठे ही कर सकते हैं. ताकि मरीजों को बार-बार अस्पताल आने की आवश्यकता न पड़े. ऐसे में लोकल-18 की टीम ने गुर्दा रोग विभाग की विभागाध्यक्षा डॉक्टर निधि गुप्ता से डायलिसिस विधि को लेकर खास बातचीत की.
दो प्रकार की दी जाती है मरीजों को डायलिसिस
डॉ निधि गुप्ता ने लोकल-18 से बातचीत करते हुए बताया कि गुर्दा रोग से संबंधित मरीजों को दो प्रकार की डायलिसिस दी जाती है. जिससे कि वह स्वस्थ रहें. इसमें एक ब्लड से संबंधित होती है. दूसरी पानी वाली डायलिसिस होती है. ऐसे में मरीजों को ब्लड से संबंधित डायलिसिस कराने के लिए जहां अस्पताल आने की आवश्यकता होती है, वहीं जो इको फ्रेंडली पेरीटोनियल डायलिसिस जिसे आम भाषा में पानी वाली डायलिसिस कहते हैं, उसे वह घर बैठे ही कर सकते हैं.
मरीजों की तीमारदार को दी जाती है विशेष ट्रेनिंग
डॉ निधि बताती है कि गुर्दे से संबंधित जो भी मरीज अस्पताल में ट्रीटमेंट करने के लिए आते हैं, उनकी कंडीशन के अनुसार अगर उन्हें डायलिसिस की आवश्यकता होती है, तो उनका छोटा सा ऑपरेशन कर उनके पेट में नली डाली जाती है. उन्होंने बताया कि इसके लिए एक विशेष पानी की आवश्यकता होती है. जो डायलिसिस विधि में उपयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में एक्सपर्ट की देखरेख में मरीज की डायलिसिस की जाती है. जिससे कि मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाएं. इसी कड़ी में मरीजों के तीमारदार को भी विशेष ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जाती है, ताकि वह घर बैठे भी मरीज की डायलिसिस कर सकें.
इस तरह मरीजों के खर्चे में होती है गिरावटडॉ निधि के अनुसार काफी ऐसे मरीज होते हैं, जिन्हें एक महीने में एक 4 से 5 बार डायलिसिस की आवश्यकता होती है. इसके लिए तीमारदार दूर-दराज से अपने मरीज को अस्पताल में लेकर पहुंचते हैं. लेकिन जब मरीज के तीमारदार इस पानी वाली डायलिसिस की विधि को जान जाते हैं, तो इसके बाद आने-जाने के खर्चे के साथ समय की भी बचत होती है. जिसका वह बेहतर तरीके से उपयोग कर सकते हैं. यही नहीं उन्होंने बताया कि यह डायलिसिस मरीजो को सुगम जीवन शैली प्रदान कराती है. साथ ही समुचित आहार लेने की स्वतंत्रता, दर्द रहित इलाज की सुविधा तथा बार-बार अस्पताल आने की दुविधा से भी बचाती है.
घर बैठे भी होती है मदद
बता दें कि डायलिसिस के लिए जिस पानी का उपयोग होता है, वह भी मेडिकल आधारित पानी ही तैयार किया जाता है. ऐसे में जिस कंपनी के प्रतिनिधि द्वारा यह फ्लो प्रदान किया जाता है. उसी कंपनी द्वारा मरीजों को यह भी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. कंपनी के एक्सपर्ट की टीम घर जाकर भी संबंधित मरीज और उनके तीमारदार को इसके लिए विशेष ट्रेनिंग उपलब्ध कराते हैं. ऐसे में जो मरीज इस ईको फ्रेंडली डायलिसिस के बारे में अधिक जानकारी लेनाचाहते हैं. वह मेडिकल कॉलेज मेरठ के गुर्दा रोग विभाग में जाकर संपर्क कर सकते हैं.
Tags: Health tips, Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 7, 2024, 10:02 IST