रजत भट्ट/ गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी (DDU) ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया कदम उठाते हुए अपने विज्ञान स्नातक (B.Sc.) पाठ्यक्रम में मनोविज्ञान और भूगोल जैसे मानविकी विषयों को शामिल करने का निर्णय लिया है. यह बदलाव नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को बहुआयामी शिक्षा देकर उन्हें बेहतर भविष्य के लिए तैयार करना है.
मनोविज्ञान और भूगोल का विज्ञान से संबंध
यूनिवर्सिटी प्रशासन का मानना है कि मनोविज्ञान और भूगोल जैसे विषय केवल मानविकी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका गहरा संबंध विज्ञान से है.
मनोविज्ञान: यह विषय मानव मस्तिष्क और उसके व्यवहार को समझने के लिए जीवविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान की तकनीकों का उपयोग करता है.
भूगोल: आधुनिक तकनीकों जैसे गूगल मैप्स और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) को समझने के लिए भूगोल का अध्ययन महत्वपूर्ण है. यह विषय कंप्यूटर विज्ञान और भौतिक विज्ञान से जुड़ा हुआ है.
नई शिक्षा नीति का प्रभाव
नई शिक्षा नीति का उद्देश्य विद्यार्थियों को उनकी रुचि के अनुसार बहुविषयी शिक्षा का अवसर देना है. गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने इसी नीति के तहत विज्ञान और मानविकी के बीच की दूरी को खत्म करने की पहल की है. अब B.Sc. के छात्रों को मनोविज्ञान और भूगोल को पढ़ने का विकल्प मिलेगा, जिससे उनकी शिक्षा का दायरा और व्यापक होगा.
अधिक विकल्प, बेहतर करियर
पहले B.Sc. और B.A. के छात्रों को चार अंतर्विषयक विकल्प (गणित, सांख्यिकी, गृह विज्ञान और रक्षा अध्ययन) मिलते थे. अब मनोविज्ञान और भूगोल को जोड़कर ये विकल्प छह हो जाएंगे. यह बदलाव विद्यार्थियों के करियर के नए रास्ते खोलने में मदद करेगा. DDU ने डिग्री को लेकर किसी भी भ्रम से बचने के लिए स्पष्ट नियम बनाए हैं. जो छात्र B.Sc. में मनोविज्ञान या भूगोल पढ़ेंगे, उन्हें M.Sc. की डिग्री मिलेगी, जबकि B.A. के छात्रों को MA की डिग्री दी जाएगी.
भविष्य की दिशा
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि, यह कदम शिक्षा को रोजगारपरक और प्रासंगिक बनाने के प्रयासों का हिस्सा है. नई नीति से विद्यार्थी न केवल बेहतर शिक्षा प्राप्त करेंगे, बल्कि वैश्विक करियर के लिए भी तैयार होंगे.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : December 1, 2024, 15:52 IST