सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है. मंदिर का निर्माण युद्धस्तर पर किया जा रहा है. जनवरी 2024 में भगवान राम अपने मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. मंदिर के प्रथम फेस का कार्य लगभग 85% पूरा हो गया है. वहीं जहां भगवान राम विराजमान होंगे उस गर्भ गृह का निर्माण भी लगभग 90% पूरा कर लिया गया है. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि आखिर क्या है उस स्थान की मान्यता जहां करोड़ों राम भक्तों की टिकी है आस्था.दरअसल, सनातन धर्म में किसी भी मंदिर का जब निर्माण किया जाता है तो उसमें एक गर्भगृह बनाया जाता है. जहां देवी-देवताओं की मूर्तियों का प्राण-प्रतिष्ठा किया जाता है. उस जगह की भी अपनी अलग मान्यता होती है. कहा जाता है कि जिस जगह पर भगवान विराजमान होते हैं वहां से भक्ति की भावना जागृत होती है.अर्थात भक्ति के ऊर्जा का प्रवाह भगवान के गर्भगृह से होता है. मठ-मंदिरों में इस स्थान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस स्थान का अपना एक अलग नियम भी है.गर्भगृह में नहीं मिलता सबको प्रवेशराम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि गर्भगृह उस स्थान को कहा जाता है जहां भगवान के विग्रह की स्थापना की जाती है. गर्भगृह में भगवान विराजमान होते हैं. वहीं भोग लगता है. बस पुजारी को ही अंदर जाने की अनुमति मिलती है. दर्शनार्थी दूर से ही दर्शन करते हैं. गर्भगृह के आगे के भाग को जगमोहन कहा जाता है. वहां पर दर्शनार्थी बैठकर भजन-कीर्तन करते हैं और उसी गर्भगृह के चारों दर्शनार्थी परिक्रमा करते हैं. गर्भगृह में ही सभी देवी-देवताओं का वास होता है. गर्भगृह से भक्ति के प्रति भावना जगती है. गर्भगृह में केवल मूर्ति की स्थापना की जाती है. पुजारी के अलावा वहां पर जाने की किसी की अनुमति नहीं होती है..FIRST PUBLISHED : May 20, 2023, 21:17 IST
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