आर्थिक तंगी नहीं तोड़ सकी जीशान का हौसला, आज चला रहा 4 कोचिंग इंस्टिट्यूट, गरीबों को देता है मुफ्त शिक्षा

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आर्थिक तंगी नहीं तोड़ सकी जीशान का हौसला, आज चला रहा 4 कोचिंग इंस्टिट्यूट, गरीबों को देता है मुफ्त शिक्षा



शाहजहांपुर. शून्य से शिखर पर पहुंचने के लिए मेहनत, जज्बा और जुनून की जरूरत होती है और यह जुनून शाहजहांपुर के रहने वाले जीशान के अंदर कूट-कूट कर भरा हुआ था. जीशान ने घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद भी एलएलबी की पढ़ाई पूरी की और वकालत न कर, अब वह अपने चार कोचिंग इंस्टिट्यूट चला रहा है.जीशान शाहजहांपुर के छोटे से गांव पैना बुजुर्ग गांव का रहने वाला है. जीशान के पिता के पास अपने खेत नहीं थी तो दूसरों के खेत बटाई पर लेकर खेती करते थे. खेती से मिलने वाले पैसे से जीशान को एक साइकिल दिलवाई और 12वीं तक की पढ़ाई पूरी कराई.जीशान बताते हैं कि 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके पिता ने आगे और पढ़ाई कराने के लिए इंकार कर दिया. लेकिन वह आगे और पढ़ाई करना चाहते थे. उसके बाद जीशान ने बच्चों को कोचिंग पढ़ाना शुरू किया. कोचिंग से मिले पैसे इक्कठे कर बीए में एडमिशन ले लिया. बीए की पढ़ाई के साथ-साथ जीशान ने शाहजहांपुर के ही एक इंग्लिश स्पीकिंग इंस्टिट्यूट में खुद भी कोचिंग लेनी शुरू कर दी. इधर जीशान की स्पीकिंग की कोचिंग पूरी हो गई और उधर बीए की पढ़ाई भी पूरी हो गई. फिर जीशान ने एलएलबी में एडमिशन लिया और शहर के ही एक स्पीकिंग इंस्टिट्यूट में बच्चों को कोचिंग देना शुरू कर दी. कोचिंग से मिलने वाले पैसों से अपनी एलएलबी की फीस जमा की.पिता की दिलाई सायकिल से जाते थे कोचिंगवर्ष 2020 में जीशान ने एक अपना इंग्लिश स्पीकिंग और कंप्यूटर इंस्टिट्यूट शुरू किया. जीशान का यह स्टार्टअप अच्छा रहा. उसके 2 साल बाद उन्होंने एक और इंस्टिट्यूट खोल दिया. लगातार मिल रही सफलता के बाद जीशान का हौसला बढ़ा और उसने पड़ोसी जिले पीलीभीत में भी अपना एक इंस्टिट्यूट खोल दिया. वहीं हाल ही में शाहजहांपुर में भी अपना एक और इंस्टिट्यूट खोल दिया है. जीशान अब कुल चार इंस्टिट्यूट चला रहे हैं. जीशान का कहना है कि वह अभी तक पिता द्वारा दिलाए हुई साइकिल से ही शाहजहांपुर अपने इंस्टिट्यूट आते रहे हैं. 1 साल पहले उन्होंने अपनी कमाई से मोटरसाइकिल खरीदी है. लेकिन पिता द्वारा दिलाई गई साइकिल को वह अभी भी सहेजे हुए हैं.गांव में गरीब बच्चों को निशुल्क कोचिंग भी दीजीशान ने शून्य से शिखर तक पहुंचाने के बाद गरीबी के दर्द को भी महसूस किया. जीशान का कहना है कि उनके गांव में बहुत से ऐसे परिवार थे. जिनके बच्चे शहर जाकर अच्छी पढ़ाई करना चाहते हैं. लेकिन उनके माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं. ऐसे में जीशान ने इंस्टिट्यूट से घर जाने के बाद गांव के कुछ जरूरतमंद परिवार के बच्चों को निशुल्क शिक्षा भी देते हैं..FIRST PUBLISHED : September 28, 2023, 12:09 IST



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