आजमगढ़ का कमलगट्टा, ‘चीनियों’ को भी बना रहा हट्टा–कट्टा, बड़े पैमाने पर होता है एक्सपोर्ट

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आजमगढ़: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में मुख्य रूप से दो बड़े ताल हैं. एक ताल सदर तहसील क्षेत्र के बड़ेला में स्थित और दूसरा सगड़ी तहसील क्षेत्र के अजमतगढ़ में. इसे ताल सलोना के नाम से जाना जाता है. यह ताल आसपास के लोगों के लिए बड़ा ही विशेष महत्व रखता है. 20 हजार हेक्टेयर से अधिक के क्षेत्रफल में फैला हुआ यह ताल आसपास के क्षेत्र और गांव के लोगों के लिए जल का विशेष स्रोत है. ये तालाब जिले में कमलगट्टे की खेती के लिए जाना जाता है. इसके अलावा इस तालाब में कमल के फूलों की भी अच्छी पैदावार होती है.

क्षेत्रवासियों के लिए मुख्य रोजगार का माध्यमयह ताल क्षेत्र वासियों के जीवन का हिस्सा है. क्षेत्रवासियों के लिए यह रोजगार के सबसे बड़े साधनों में से एक है. स्थानीय निवासी सुखदेव ने बताया कि इस तालाब में उगने वाले कमलगट्टे की डिमांड बनारस और आसपास के क्षेत्र में काफी अधिक है. कुकुरही, भीटी शाहखजुरा, ऊंजी और विजयीपुर आदि गांव के ग्रामीण के लिए कमलगट्टे का कारोबार उनके मुख्य रोजगार में से एक है.

बाजार में ₹200 प्रति किलो है दामयहां पर उगने वाले कमल गट्टों का इस्तेमाल पहले लोकल स्तर पर होता था लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रचलन बनारस और कोलकाता तक जा पहुंचा. इस कारण मार्केट में इसकी डिमांड बढ़ने लगी. वर्तमान में बनारस की मंडियों में कमल गट्टा ₹150 से ₹200 प्रति किलो की दर से बिकता है. यही कारण है कि यहां के लोगों के लिए कमलगट्टा रोजगार का विशेष माध्यम है.

कोलकाता और बनारस के साथ-साथ आजमगढ़ के कमलगट्टे चीन और थाईलैंड में भी भेजे जाने लगे हैं. कमलगट्टे को पौष्टिक आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होने के नाते इसकी डिमांड विदेश में भी अधिक होने लगी है. अजमतगढ़ और बनारस में कमलगट्टे का व्यापार कर रहे शंभू और अशोक ने बताया की सितंबर और अक्टूबर के महीने में कमलगट्टे को जनपद से बनारस और कोलकाता के मंडियों में भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि बनारस और कोलकाता से कमलगट्टे को चीन और कई अन्य देशों में भेजा जाता है. चीन में रह रहे भारतीयों में इसकी डिमांड काफी अधिक है.

कमल के फूल से निकलता है कमलगट्टाकमल गट्टा मुख्यतः कमल के फूलों से मिलता है. ऐसे में इस तालाब में कमल के फूलों की भी अच्छी उपज होती है. तालाब में कमल के फूलों की पैदावार होने से किसानों को इसका दोहरा लाभ मिलता है. मार्केट में कमल के फूलों के साथ-साथ इससे निकलने वाले कमल गट्टों की भी काफी डिमांड है. ऐसे में किसान दोनों को बेच कर मुनाफा कमाते हैं.
Tags: Agriculture, Azamgarh news, Local18FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 22:53 IST

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