मेरठ. रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) के बीच फंसे भारतीय छात्रों का स्वदेश लौटने का सिलसिला जारी है. स्वदेश लौट रहे मेडिकल छात्रों ने सरकार की इस पहल का धन्यवाद जताया है. मेरठ के रहने वाले एक छात्र स्नेहाशीष ने बताया कि कई दिनों की परेशानी झेलने के बाद आखिरकार उन्होंने यूक्रेन का बॉर्डर पार किया और वहां से सरकार की मदद से वह घर पहुंचा है.
भारत पहुंचे इस छात्र की आंखों में उस रात का खौफ भी साफ नजर आ रहा था. जब वह अपना संघर्ष मीडिया से शेयर कर रहा था तो यूक्रेन पर हो रहे हमलों और बम धमाकों का खौफ दिख रहा था. छात्र ने बताया कि 26 फरवरी की रात माइनस 6 डिग्री तापमान में धमाकों की आवाज के बीच जब वह रोमानिया पहुंचा और उसने भारतीय तिरंगा देखा तो मानो उसे नई जिंदगी मिल गई.
स्नेहाशीष ने बताया कि 24 फरवरी को ब्लास्ट हुआ जिसके बाद खौफ के साए में जी रहे थे. किसी तरह उसने वहां से निकलना शुरू किया और रोमानिया बॉर्डर तक पहुंच गया. इस बीच कड़कड़ाती ठंड ही नहीं बल्कि खाना न मिलना भी बड़ी परेशानी थी. स्नेहाशीष के पिता संतु मालकर ने बताया कि सरकार ने एडवाइजरी तो जारी कर दी थी, लेकिन छात्रों की जो कक्षाएं थीं वह लगातार जारी थीं और कक्षा को छोड़ा नहीं जा सकता था.
उन्होंने बताया कि 24 फरवरी को ब्लास्ट हुआ तब वहां से छात्रों को निकालना शुरू किया गया. इस दौरान खौफ के साए में उनकी भी रातें कटती थीं, क्योंकि बेटे से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा था. छात्र स्नेहाशीष ने बताया कि रोमानिया बॉर्डर पर भारतीय छात्रों के लिए अच्छी सुविधा थी.
छात्र ने बताया कि भारतीय दूतावास ने पूरी मदद की जिस वजह से वह यहां तक पहुंच सके हैं. इसके लिए सरकार का धन्यवाद करते हैं. बता दें कि स्नेहाशीष यूक्रेन में MBBS के प्रथम वर्ष का छात्र है और मेरठ के सरस्वती विहार रोहटा रोड पर रहते हैं.
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