लालू यादव (Lalu Yadav) ने अपने राजनीतिक जीवन में कई लोगों की मदद की है. वे अपनी दरियादिली के लिए भी प्रसिद्ध रहे हैं. लालू यादव जब रेल मंत्री थे तब उन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर नायक तात्या टोपे (Tatya Tope) के परिजनों की मदद की थी. कानपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर बिठूर इलाके में आज भी तात्या टोपे का परिवार रहता है। लालू यादव ने तात्या टोपे के परपोता विनायक राव की न केवल आर्थिक मदद की थी बल्कि उनकी पुत्रियों को रेलवे में नौकरी भी दी थी. लालू यादव पर जब भी कोई विपत्ति आती है तो विनायक राव का परिवार उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है.
भारत की आजादी की पहली लड़ाई 1857 में हुई थी. क्रांति की शुरुआत मेरठ से हुई. जब क्रांति की लपट कानपुर पहुंची तो यहां के सैनिकों ने बिठुर के शासक नाना साहेब (बालाजी बाजीराव) को अपना नेता घोषित कर दिया. तात्या टोपे, नाना साहेब के सेनापति थे. उन्होंने कानपुर में अंग्रेजों से युद्ध किया. तात्या टोपे को 1857 की लड़ाई का सबसे महत्वपूर्ण सेनानायक माना जाता है. उनका मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग राव था. उन्होंने अपनी छापामारी युद्ध नीति से दो साल तक अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे. वे अंग्रेजों पर हमला करते और जंगलों में छिप जाते. अंग्रेज उन्हें पकड़ नहीं पा रहे थे, लेकिन विश्वासघात के कारण अंग्रेजों ने उन्हें परोन के जंगल में सोते हुए पकड़ लिया था. अप्रैल 1859 में उन्हें फांसी पर लटका दिया था. बिठुर में उनके घर को तोड़ फोड़ दिया गया था. यहां तक कि तात्या टोपे के पिता और भाइयों को भी बंदी बना लिया गया. उनके एक भाई लक्ष्मण राव को अंग्रेजों ने कुछ दिन के बाद रिहा कर दिया. जिस जमीन पर तात्या टोपे के घर का खंडहर था, लक्ष्मण राव वहीं रहने लगे थे. लक्ष्मण राव के पुत्र का नाम नारायण राव था. नारायण राव के पुत्र का ही नाम विनायक राव है.
तात्या टोपे के वंशज से लालू यादव की मुलाकातलालू यादव 2004 में रेल मंत्री बने थे. वे एक बार कानपुर के प्रसिद्ध आनंदेश्वर मंदिर आये थे. यह भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है. यहां पूजा करने के बाद वे नान साहेब पेशवा की मगल देखने के लिए आये थे. यहां लालू यादव की मुलाकात नारायण राव से हुई. जब उन्हें मालूम हुआ कि नारायण राव तात्या टोपे के वंशज हैं तो वे बहुत रोमाचिंत हुए. लालू यादव ने तात्या टोपे के प्रति अगाध श्रद्धा प्रगट की. फिर उन्होंने नारायण राव को अपना निजी फोन नम्बर दिया और कहा कि जब भी कोई परेशानी हो, सीधे बात कीजिएगा. रेल मंत्री लालू यादव का यह रूप देख कर वहां मौजूद लोग चकित रह गये. नारायण राव की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. वे अपनी बेटी प्रगति और तृप्ति को पढ़ा नहीं पा रहे थे. उन्होंने एक दिन रेल मंत्री लालू यादव को फोन कर अपनी परेशानी बतायी. फिर उनकी किस्मत बदल गयी.
प्रगति और तृप्ति को घर बुलाया, नियुक्ति पत्र दियाविनायक राव ने यह कहानी तब सुनायी थी जब 2017 में लालू यादव जेल गये थे. विनायक राव के मुताबिक, लालू यादव ने उनकी बेटियों के पढ़ने का खर्चा उठाया. बड़ी लड़की प्रगति ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की. छोटी बेटी तृप्ति ने संस्कृत से एमए किया. ब्राह्मण परिवार में संस्कृत पढ़ने की पहले से परम्परा थी. जून 2007 की बात है. एक दिन विनायक राव के घर एक रेल अधिकारी पहुंचे. उन्होंने बताया कि मंत्री जी ( लालू यादव) ने भेजा है. उन्होंने प्रगति और तृप्ति के शैक्षणिक प्रमाण पत्र मांगे. विनायक राव ने तात्या टोपे के वशंज होने का अपना दस्तावेज भी सौंपा. इसके करीब 10 दिने के बाद लालू यादव ने विनायक राव के पूरे परिवार को अपने दिल्ली आवास पर बुलाया. कानपुर से आने जाने के लिए रेल का किराया भी दिया. विनायक राव का परिवार करीब एक घंटे तक लालू यादव के सरकारी निवास में रहा. रेल मंत्री ने उनसे आत्मीयता से बात की. फिर उन्होंने प्रगति और तृप्ति को रेलवे का नियुक्ति पत्र सौंप दिया. दोनों को कानपुर रेलवे स्टेशन के कंटेनर डिपो में क्लर्क के पद पर बहाल किया गया था. पहले अनुबंध पर रखा गया फिर 2012 में दोनों को परमानेंट कर दिया गया.
जिंदगी यूं बदल गयीलालू यादव की मदद से जब विनायक राव की दो बेटियों की रेलवे में नौकरी लग गयी तो उनकी जिंदगी पटरी पर आ गयी. बेटियों की शादी बहुत अच्छे से हुई. उनका घर भी अच्छा बन गया. घर को किराया पर देने से भी कुछ आमदनी होने लगी. प्रगति, तृप्ति और नारायण राव का पूरा परिवार लालू यादव को भगवान की तरह पूजता है. कहां बिहार के रहने वाले लालू यादव और कहां बिठूर में के रहने वाले तात्या टोपे के वशंज, कभी सपने में भी मुलाकात की उम्मीद न थी, लेकिन नियति ने ऐसी परिस्थतियां निर्मित की, कि दोनों मिले और खूब मिले. भारत के तत्कालीन रेल मंत्री ने भारत की महान विभूति के सम्मान के लिए अनुकरणीय कृत्य किया. ऐसी ही खूबियों के कारण लालू यादव जनप्रिय राजनेता बने.
Disclaimer: यह लेखक की निजी राय और जानकारी पर आधारित है. न्यूज़ 18 लेखक की राय से इत्तेफाक नहीं रखता.
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