Caste equation strengthens BJP’s position in Sikandra Rao Assembly seat

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Caste equation strengthens BJP's position in Sikandra Rao Assembly seat



हाथरस. सिकंदराराऊ विधानसभा सीट चुनावी इतिहास कहता है कि यहां के मतदाता के लिए पार्टी नहीं, उम्‍मीदवार की मेरिट मायने रखती है. तभी अब तक यहां हुए 17 चुनावों में सबसे अधिक चार बार निर्दलीय जीत चुके हैं. कांग्रेस और भाजपा को तीन-तीन बार जीत मिली है. सपा और बसपा एक-एक बार जीती हैं. वर्तमान में भाजपा के बीरेंद्र सिंह राणा विधायक हैं. क्षत्रिय मतदाताओं के दबदबे वाली इस सीट पर पिछले पांच चुनावों में भाजपा की स्‍थिति मजबूत रही है. हालांकि मुख्‍य धारा के सभी दलों की कोशिश इस सीट से क्षत्रिय उम्‍मीदवार उतारने की रहती है.
1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस से नेकराम शर्मा विधायक बने थे. उनके बारे में कहा जाता है कि वह जनता के बीच रहने वाले नेता थे. किन्‍हीं वजहों से कांग्रेस से उनका टिकट कट गया तो वह निर्दलीय मैदान में कूद पड़े. 1962 और 67 का चुनाव स्‍वतंत्र उम्‍मीदवार के रूप में जीते. 1969 के चुनाव में नेकचंद शर्मा की जीत का सिलसिला रोका जगदीश गांधी ने. खास बात यह रही कि जगदीश गांधी भी निर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में ही चुनावी मैदान में उतरे थे. हालांकि अगला चुनाव जगदीश गांधी हार गए.
इसके अलावा जगदीश गांधी का परिचय यह है कि वह लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्‍कूल के संस्‍थापक हैं. जो आजकल सीएमएस के नाम से जाना जाता है. राजधानी में इस स्‍कूल की लंबी चेन है. हजारों बच्‍चों को शिक्षा देने के मामले में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्डस में भी इसका नाम दर्ज है. चौथे निर्दलीय विधायक अमर सिंह यादव थे, जिन्‍होंने 2002 में जीत दर्ज की थी. भाजपा यहां से पहली बार 1996 में जीती, इसके बाद 2007 और 2017 में उसके उम्‍मीदवार जीते. 2012 में यहां से बसपा से रामवीर उपाध्‍याय जीते थे. 3.50 लाख मतदाताओं वाली सिकंदराराऊ सीट पर क्षत्रिय वोटर 90 हजार हैं. दलित 60 हजार, मुस्‍लिम 40 हजार, बघेल और मुस्‍लिम वोटर 35-35 हजार हैं.

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