प्रयागराज. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) के जन्मस्थान वाली गली में कई दशकों तक चलने वाले देह व्यापार (Sex Racket) के चर्चित मामले में प्रयागराज (Prayagraj) की जिला अदालत (District Court) ने सभी 41 आरोपियों को दोषी मानते हुए उन्हें सजा सुनाई है. अदालत ने दोषियों को दो साल से लेकर 14 साल तक की सज़ा सुनाई है. सज़ा पाने वाले 41 लोगों में 33 महिलाएं हैं. अदालत ने तकरीबन छह सालों में मुक़दमे की सुनवाई पूरी कर सभी आरोपियों को दोषी मानते हुए उनकी सज़ा का एलान किया है.
यह चर्चित मामला साल 2016 का है. दरअसल प्रयागराज के चौक इलाके के मीरगंज मोहल्ले की गलियों में पिछले कई दशकों से जिस्मफरोशी का धंधा चलता था. तवायफों के कोठे सजते थे. सरेआम देहव्यापार का काम होता था. इस गोरखधंधे में सैकड़ों लोग शामिल थे. स्थानीय पुलिस और प्रशासन की भी इसमें मिलीभगत रहती थी. छुड़ाई गई लड़कियां देश के अलग-अलग हिस्सों से लाकर यहां खरीदी और बेची जाती थीं. उनसे मारपीट कर जबरन देह व्यापार कराया जाता था. पीड़ित लड़कियों की चीख कोठों और गलियों से बाहर नहीं आ पाती थीं.
हाईकोर्ट के वकील सुनील चौधरी ने किया था आंदोलनसामाजिक कार्यकर्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील सुनील चौधरी ने साल 2014 में इसके खिलाफ आंदोलन शुरू किया. वह नौ महीने तक धरने पर बैठे रहे. सबूतों के साथ हाईकोर्ट से इस मामले में दखल देने की अपील की. इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रयागराज प्रशासन ने साल 2016 में मीरगंज की गलियों में छापेमारी कर दो सौ के करीब नाबालिग लड़कियों -युवतियों व छोटे बच्चों को रेस्क्यू कर छुड़ाया था. पुलिस ने करीब 50 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. रेस्क्यू कर छुड़ाई गई लड़कियों को नारी निकेतन भेजा गया था.
सुनवाई के दौरान छह आरोपियों की मौतपुलिस ने इस मामले में 48 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाख़िल की थी. इनमे से मुक़दमे की सुनवाई के दौरान छह आरोपियों की मौत हो गई, जबकि एक फरार हो गया था. आज तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. बाकी बचे सभी 41 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी माना है. एडिशनल सेशन जज रचना सिंह की कोर्ट ने इन दोषियों को अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1656 के साथ ही आईपीसी की कई धाराओं में भी दोषी करार दिया है. अलग-अलग आरोपियों को अलग अलग धाराओं में सजा सुनाई गई है. किसी दोषी को दो साल की सज़ा सुनाई गई है तो किसी को सात साल की. किसी को दस साल की सज़ा का एलान हुआ है तो किसी को चौदह साल की कठोर सज़ा दी गई है. सभी दोषियों को सज़ा के साथ ही अर्थदंड भी लगाया गया है.
यह फैसला एतिहासिकदोषी करार दिए गए पांच आरोपी कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से वीडियो कांफ्रेंसिंग से जेल से जुड़े, जबकि बाकी आरोपी आज सज़ा सुनाए जाते वक़्त कोर्ट में मौजूद थे. कई आरोपियों के वकीलों ने बीमारी और महिला होने के साथ ही पहला अपराध होने का हवाला देकर कोर्ट से कम सज़ा दिए जाने की गुहार लगाई थी. अभियोजन यानी सरकारी पक्ष की तरफ से जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने बहस की थी. उनके मुताबिक़ यह फैसला एतिहासिक है और यह केस पूरे देश में नज़ीर के तौर पर रखा जा सकता है.
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