अब इंदुदेवी ई गीत गा- गा के उत्तर परदेस में विकासशील इंसान पाटी (भीआइपी) खातिर वोट मंगिहें. इंदु देवी के उत्तर प्रदेश में भीआपी के एसटार परचारक बनावल गइल बा. ऊ भीआइपी में शामिल हो चुकल बाड़ी. बीआइपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी यूपी में निषाद आरक्षण के मुद्दा बना चुनाव लड़ रहल बाड़े. एह से इंदुदेवी भी आपन एजेंडा के मोताबिक लोकगीत गा रहल बाड़ी. बिहार में भाजपा,जदयू अउर भीआइपी के मेल से सरकार चल रहल बा. लेकिन उत्तर परदेस बिधानसभा चुनाव में तीनों दल अलग अलग ताल ठोक रहल बाड़े. मुकेश सहनी यूपी में 25 सीट पs कंडिडेट भी दे चुकल बाड़े. एकरा में पश्चिमी उत्तर परदेस अउर पूर्वांचल के सीट शामिल बा.
यूपी के केन्द्र बिन्दु बनिहें बिहार के इंदु
सचिन सागर पूछले, इंदु देवी के मुकेश सहनी से परिचय कइसे भइल ? दया शंकर कहले, केकर किस्मत कब चमक जाई केहू ना जाने. बेहद गरीब परिवार से आवे वली इंदु देवी 12 साल पहिले साक्षर बनल रही. उनका में गीत रचे अउर गावे के जनमजात खूबी रहे. उमिरदराज भइला के बाद जब लिखे पढ़े के सीख गइली तs अपनी ही गीत रचे लगली. बज्जिका बोलत रही. लेकिन भोजपुरी लोकगीत से परभावित रही. बज्जिका-भोजपुरी में गीत लिख के अपने ही गावे लगली. इंदु देवी अपना गांव (बिहार के मोजफ्फरपुर जिला के कुढ़नी) में भजन कीर्तन गावे लगली. धीरे-धीरे नांव होखे लागलत तs ऊ सरकारी कार्जकरम में जागरुकता गीत गावे लगली. 29 दिसम्बर के सीएम नीतीश जी समाज सुधार जात्रा पs मोजफ्फरपुर पहुंचल रहीं. एह कार्जकरम में इंदु देवी नासा से नोकसान के एतना सुंदर गीत गवली कि नीतीश जी भी परभावित हो गइले. ऊ गवले रही, गांजा पी के चिलम दिया लहराई, चिलम में से तितकी उड़ के जरल तोसर रजाई, नसवा नरक में ले जाई, जन पीहs ए भाई…. एह गीत के बाद इंदु देवी के पूरा बिहार में नांव हो गइल.
बीआइपी के लोकगीत से चुनाव परचार
दयाशंकर के बात जारी रहे. भीआइपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी पहिले बोम्बे के फिलमी दुनिया में सेट डिजाइनर रहन. परचार में गीत-संगीत के अहमियत जानत रहन. मुकेश सहनी बिहार के मत्स्य पशुपालन मंतरी हवें. उनका भिरी भी इंदु देवी के चरचा पहुंचल. पटना में इंदु देवी के मुकेश सहनी से मोलकात भइल. इंदु देवी भीआइपी पाटी में शामिल हो गइली. मुकेश सहनी उनका के यूपी के एसटार परचारक बना देले. इंदु देवी यूपी परचार खातिर एगो गीत लिखले बाड़ी, मुकेश मलहवा करईs तोहसे बिनितिया ए जान….. उनकर गीत पूर्वांचल के भोजपुरिया इलाका में असर पैदा कर सकेला. पूर्वांचल के गोरखपुर, जौनपुर, गाजीपुर जिला में भीआइपी कंडिडेट खाड़ा बाड़े जहां निषाद भोटर निरनायक बाड़े. यूपी में निषाद समाज (करीब 22 उपजाति) के मोटामोटी 18 परसेंट भोट बा. लेकिन उहां पहिले से ऐह समाज के बड़-बड़ नेता बाड़े. निषाद पाटी के संजय निषाद भाजपा के साथे बाड़े. चरचित फूलन देवी सपा से सांसद रहीं. सपा उनका नाम पर अभियो राजनीत करे ले. जब कि मुकेश सहनी बिहार से उत्तर प्रदेश गइल बाड़े. बिहार में भी उनकर राजनीति चार बिधायक तक सीमित बा. चुनाव हरला के बाद ऊ खुद भाजपा के कोटा से एमएलसी बाड़े. लेकिन निषाद समाज के अधिकता देख के यूपी चुनाव लड़े पहुंचल बाड़े.
पश्चिमी यूपी में कश्यप बोटर के परभाव
दयाशंकर पश्चिमी यूपी के राजनीत बतावे लगले. जानकार लोगन के मोताबिक उत्तर परदेस के करीब 165 सीट पs निषाद भोटर निरनायक बाड़े. एही से मुकेश सहनी यूपी में 165 सीट पs चुनाव लड़े के घोषणा कइले बाड़े. पहिला सूची में 25 नांव बा. एकरा मोताबिक पश्चिमी उत्तर परदेस के सहारनपुर, शामली, मुरादाबाद, बागपत, बुलंदशहर, आगरा जिला से भी कंडिडेट देवे बाड़े. उत्तर परदेस में कश्यप समुदाय के निषाद जाति समूह में राखल गइल बा. निषाद समाज में केवट, बिंद, मलाह, मांझी भी शामिल बाड़े. उत्तर परदेस में ह लोग के ओबीसी कटेगरी में राखल गइल बा. ई लोग बहुत दिन से अनुसुचित जाति के मान्यता देवे के मांग कर रहल बाड़े. मुकेश सहनी भी निषाद आरक्षण (एससी) के मुद्दा पS ही यूपी चुनाव में कूदल बाड़े. पश्चिमी उत्तर परदेस में कश्यप समुदाय के बहुत अहमियत बा. मुकेश सहनी होमवर्क कइला के बाद उंहें से कंडिडेट देले बाड़े जहां निषाद समुदाय के उपजाति के परधानता बा.
का मुकेश सहनी के लड़े से भाजपा के नोकसान होई ?
सचिन साग पूछले, का मुकेश सहनी के चुनाव लड़े से भाजपा के नोकसान होई ? ई बात सुन के दयाशंकर कहले, भीआईपी अउर जदयू शुरू में भाजपा के साथे यूपी में चुनाव लड़ल चाहत रहे. लेकिन भाजपा इ दूनो दल के भाव ना देलस. जहां तक निषाद समुदाय के बात बा, ई कबो एकमुश्त भोट ना देवे. पहिले सपा अउर बसपा में निषाद भोटर बंटल रहन. फूलन देवी के निषाद समाज के सबसे बड़ नेता मानल जाला. ऊ सपा से सांसद रही. एह से पहिले निषाद भोट पS सपा के दबदवा रहे. एकरा बाद एक समुदाय के समरथन मायावती के मिलल. लेकिन अब संजय निषाद के दावा बा कि समाज के सबसे अधिक समरथन उनका मिल रहल बा. गोरखपुर के होमियोपैथी डाकटर संजय निषाद 2016 में निषाद पाटी के गठन कइले रहन. ऊ ‘निषादों का इतिहास’ नांव से एगो किताब भी लिखले बाड़े. निषाद समुदाय के अलग-अलग उपजाति के एकजुट करे खातिर आंदोलन भी कइले रहन. ऊ 2017 के विधानसभा चुनाव भाजपा के खिलाफ लड़ल रहन. 100 कंडिडेट खाड़ा कइले रहल. लेकिन मात्र एक्के सीट पS जीत मिलल रहे. एह से निषाद समुदाय के भोटिंग पैटर्न पS निसचिंत होके कुछ ना कहल जा सके. एतना बात कह के दयाशंकर फेन मोबाइल पS गीत सुने लगले.
(अशोक कुमार शर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं, आलेख में लिखे विचार उनके निजी हैं.)
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