Benefits of Janu Shirshasan: आज हम आपके लिए जानु शीर्षासन (Janu Sirsasana) के फायदे लेकर आए हैं. ये बैठकर किया जाने वाला एक आसन है. इसे करने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं. इससे बॉडी टोन होती है, यह थायरॉइड में भी फायदेमंद होता है. नियमित रूप से जानुशीर्षासन करने से कंधे, पैरों और पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं.
क्या है जानु शीर्षासन (What is Janu Shirshasan)
जानु शीर्षासन संस्कृत भाषा का शब्द है. ये शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है. पहले शब्द ‘जानु (Janu) का अर्थ घुटना (Knee) होता है. दूसरे शब्द ‘शीर्ष (Sirsa) का अर्थ सिर (Head) होता है. वहीं तीसरे शब्द ‘आसन (Asana)’ का अर्थ, बैठने, लेटने या खड़े होने की मुद्रा, स्थिति या पोश्चर (Posture) से है.
जानु शीर्षासन करने की विधि (Method of doing Janu Shirshasan)
योग मैट पर पीठ को सीधा करके बैठ जाएं.
बाएं पैर को कूल्हे के जोड़ से बाहर की ओर फैलाएं.
इस दौरान अपने दाहिने घुटने को भीतर की ओर मोड़ें.
अब दाएं पैर के तलवे को बाईं जांघ के अंदरूनी हिस्से के ऊपर रखें.
फिर दाहिने पैर और घुटने को फर्श पर आराम से दबाएं.
इस समय छाती और नाभि बाएं पैर के साथ होनी चाहिए.
इससे ऊपरी धड़ एकदम सटीक स्थिति में आ जाएगा.
अब दोनों हाथों को कूल्के के पास रखकर सपोर्ट दें.
सांस भीतर लें और पेट-धड़ को सिर की तरफ बढ़ाएं.
फिर सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों से पैर की एड़ी को पकड़ लें.
इस दौरान बिल्कुल जोर लगाने की कोशिश न करें.
इसी स्थिति में बने रहें और गहरी-धीमी सांसें लेते और छोड़ते रहें।.
इसके बाद सांस खींचते हुए हाथों से पैरों को छोड़ दे.
अब धड़ को ऊपर उठाएं और दाहिने पैर को सीधा करें.
इसके बाद आप कुछ सेकेंड तक आराम करें.
इसके बाद अब यही आसन दाएं पैर के साथ करें.
जानु शीर्षासन के जरबदस्त फायदे (The tremendous benefits of Janu Shirshasan)
इस आसन का अभ्यास दिमाग को शांत करता है.
इस आसन का अभ्यास हल्के अवसाद से छुटकारा पाने में मदद करता है.
इसका अभ्यास रीढ़ की हड्डी, हैमस्ट्रिंग, कूल्हों और घुटनों के लचीलेपन को बढ़ाता है.
जानु शीर्षासन का अभ्यास पाचन में सुधार लाता है.
चिंता, थकान, सिरदर्द, और मासिक धर्म की परेशानी से छुटकारा दिलाता है.
जानुशीर्षासन करने से पैरों के दर्द में बहुत आराम मिलता है.
ठंड लगने पर इस आसन को करने से शरीर को गर्मी मिलती है.
जानु शीर्षासन के दौरान रखें ये सावधानियां (Keep these precautions during Janu Shirshasan)
जानु शीर्षासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं.
कभी भी असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें.
इसके अभ्यास के दौरान कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें.
योग्य योग गुरु की देखरेख में भी इस आसन का अभ्यास करें.
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.
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