UP Election 2022 Before Lucknow the assembly was in Allahabad Bhojpuri – Bhojpuri में पढ़ें

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UP Election 2022 Before Lucknow the assembly was in Allahabad Bhojpuri - Bhojpuri में पढ़ें



प्रभात ओझा
चलीं पहिले उत्तर प्रदेश के नाम पर बात कइल जाउ. एकरा के अंगरेजी में आसानी खातिर बहुते छोट नाम यू पी कहल जाला. त ई यू पी पहिलहूं रहे, बाकिर ऊ उत्तर प्रदेश ना कहल जात रहे. एहि प्रदेश के नाम युनाइटेड प्राविंस रखल गई रहे. पूरा नाम त युनाइटेड प्राविंसेज आगरा एंड अवध रहे, बाकिर छोटका नाम युनाइटेड प्राविंस यानी यू पीए कहात रहि गईल. एहि तरे नाम त यू पीए रहि गईल, बाकिर युनाइटेड प्राविंस से उत्तर प्रदेश बनि गईल. एकर दस्तावेज देखे के चाहीं.
एक समय अइसनो रहे कि यू पी ना त उत्तर प्रदेश रहे अउर ना एकरा के युनाइटेड प्राविंस कहल जात रहे. तब अंगरेजी राज में प्राविंस यानी प्रदेश के जगहा पर प्रेसीडेंसी रहली सन. आजु जवना उत्तर प्रदेश के देखल जात बा, तब ई पूरा के पूरा बंगाल प्रेसीडेंसी में रहे. असल में 1934 तक पूरा भारत तीन गो प्रेसीडेंसी में राखल रहे. बंगाल के अलावे बांबे अउर मद्रास प्रेसीडेंसी रहल. तीन गो प्रेसीडेंसी में ई बंगाल वाला बहुते बड़ रहे अऊऱ अंगरेज लोग के शासन में दिक्कत होत रहे. फेरु बंगाल में से आगरा प्रेसीडेंसी बनावल गईल. एहि टाईम पर अंगरेज सरकार 1857 के विद्रोह से परेशान हो गईल रहे. तबो बात ना बनल त जनवरी 1858 में, लॉर्ड कैनिंग के आदेश से उत्तर पश्चिमी प्रांत बनल. ई प्रदेश बनावल भी विदेशी राज के सोचल समझल चाल रहे. कई गो रजवाड़ा भी 1857 के क्रांति में शामिल रहे. अंग्रेज सरकार के बुझाईल की एह लोग के हिसाब-किताब तूरे के परी. त रियासतन के यूनिटी तूरे खातिर दिल्ली के काटि के पंजाब में मिला दिहल गईल. अजमेर अऊर मारवाड़ के राजपूताना-अवध से जोड़ि दिहल गईल. आगरा रहबे कईल. त नया प्रदेश नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेज ऑफ आगरा और अवध बना दिहल गईल.
उत्तर पश्चिमी प्रांत के काम आगरा से उठाके 1868 में इलाहाबाद आ गईल. हाई कोर्ट भी इलाहाबाद आ गईल. अवध क्षेत्र के कुल्हि हिस्सा भी एही प्रांत में मिला दिहल गईल. संक्षेप में चलल जाउ त साल 1877 में प्रदेश के नाव ‘उत्तर-पश्चिमी प्रांत और अवध’ रखल गईल. बाद में 1902 के साल में एह प्रदेश के नया नाव ‘संयुक्त प्रांत आगरा और अवध’ रखाईल.
इतिहास के बारे में सभे जानत बा कि पहिले राष्ट्रपति के जगहा पर गवर्नर जनरल रहलें. इ इंतजाम 1950 तक रहे. ई जरूर भईल कि अंगरेज गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन के जगहा पर अपना देश के बहुत बड़ नेता अऊर कानूनी जानकार सी. राजगोपालाचारी गवर्नर जनरल बनलें. त बात उनइस सौ पचासे के ह. तब 24 जनवरी के युनाइटेड प्राविंस से उत्तर प्रदेश बनल रहे. एकरा खातिर गवर्नर जनरल ओहि दिने संयुक्त प्रांत (नाम का परिवर्तन) आदेश 1950 जारी कइले रहलें. गवर्नर जनरल के ई आदेश 24 जनवरी, 1950 के उत्तर प्रदेश राजपत्र (असाधारण) में छापल गईल बा.
एकरा पहिले 1920 में विधान परिषद के लिए चुनाव भईल रहे. पहिले विधानसभा नाहीं, विधान परिषदे रहल. ओकर कई गो बइठक इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क के अंदर एगो बिल्डिंग में भईल रहे. अल्फ्रेड पार्क एहि घरी चंद्रशेखर आजाद पार्क कहात बा. अब इ बतावला के जरूरत शायद कमे पड़ि कि क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद एही पार्क में शहीद भईल रहलें. त बात विधान परिषद, यानी एहि घरी के विधानसभा के करत बानी जा. त जवना बिल्डिंग में अंगरेजी राज के दौरान प्रांविस कौंसिल यानी विधान परिषद के बइठक भईल रहलि सन, ओकरा के आजु के टाइम गवर्नमेंट पब्लिक लाइब्रेरी कहल जाला.
एहि बिल्डिंग के रंग-रूप त पहिलहीं जइसन बा, लेकिन अंदर खाली किताबे-किताब अउर पत्रिका लउके ला. जे इतिहास के अखबार अउर तरह-तरह के किताब पढ़े के चाहें, उहां जाके देख सकेला. हं, इ जरूर बा कि उहां एक जगह लिखल बा कि एहिजा यू पी कौंसिल की कुछ बइठक भइल रहे. त खास बात ई बा कि बहुते जल्दी अगिला साल विधान परिष्द के बइठक 1921 में लखनऊ में शुरू हो गईल. अब गवर्नर यानी राज्यपाल, मंत्री अउर सचिव लोगन के लखनऊए में ही काम करे के रहे. एहि खातिर तब के गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर आपने कुल्हि सरजाम लेके इलाहाबाद से लखनऊ आ गईले. एही जा से राजधानी में बदलाव शुरू भईल. राजधानी बनावे के काम 1921 से 1935 तक चलत रहि गईल.(प्रभात ओझा वरिष्ठ पत्रकार हैं, आलेख में लिखे विचार उनके निजी हैं.)

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