प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पिछले 12 साल से जेल में कैद मऊ से बसपा विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी को गिरोहबंद कानून में रिमांड आदेश जारी करने की वैधता की चुनौती याचिका पर राहत दी है. कोर्ट ने एमपी एमएलए विशेष अदालत प्रयागराज को निर्देश दिया है कि वह जेल अधीक्षक से रिपोर्ट लेकर उचित आदेश पारित करें.
इस मामले में याची का कहना है कि गिरोहबंद कानून में अधिकतम सजा 10 साल की कैद है. वह इससे अधिक समय से जेल में बंद है. तय सजा जेल में बिताने के बाद गिरोहबंद कानून में नजरबंदी अवैध है. उसे स्वतंत्र होने का अधिकार है. यह आदेश जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने मुख्तार अंसारी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.
याचिका पर अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने वर्चुअल बहस की. इनका कहना है कि 2007 में उसके खिलाफ जेल में रहने के बावजूद गिरोहबंद कानून के तहत गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. विशेष अदालत वाराणसी ने 22 जुलाई 2009 को रिमांड स्वीकृत की. वह 22 अक्टूबर 2005 से जेल में बंद हैं. अब प्रयागराज की विशेष अदालत में केस चल रहा है.
गौतम नौलखा केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तय सजा से अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता. ऐसे में उसे गिरोहबंद कानून के तहत निरूद्ध रखना गैर कानूनी है. विचारण न्यायालय वारंट जारी करने जा रही है. कोर्ट ने याची को विशेष अदालत में दो हफ्ते में अर्जी देने और उस पर जेल अधीक्षक से रिपोर्ट लेकर कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.
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