अपने बच्चे को चैन की नींद सुलाने के लिए हम हर कोशिश करते हैं, जैसे- सॉफ्ट गद्दा, सुंदर बेडशीट और आरामदायक माहौल. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस गद्दे पर आपका बच्चा सो रहा है, वो उसकी सेहत के लिए स्लो पॉइजन साबित हो सकता है? हाल ही में एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है, जिसमें पाया गया कि बच्चों के गद्दों और बेडिंग से ऐसे जहरीले केमिकल्स निकलते हैं, जो उनके हार्मोनल और मानसिक विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
टोरंटो यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मिरियम डायमंड के नेतृत्व में किए गए इस रिसर्च में 6 महीने से 4 साल तक के बच्चों के 25 कमरों की हवा टेस्ट की गई. स्टडी में पाया गया कि बच्चों के बेड के पास हवा में सबसे ज्यादा खतरनाक केमिकल्स पाए गए. इनमें फ्थैलेट्स (Phthalates), फ्लेम रिटार्डेंट्स और यूवी फिल्टर्स शामिल थे. वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि बच्चों के शरीर की गर्मी और उनके वजन के कारण गद्दों से इन जहरीले तत्वों का रिसाव और भी बढ़ जाता है.
गद्दों में पाए गए जहरीले कैमिकलफ्थैलेट्स ऐसे केमिकल्स होते हैं, जो प्लास्टिक को सॉफ्ट और टिकाऊ बनाने के लिए इस्तेमाल होते हैं. ये हार्मोनल असंतुलन, समय से पहले जवानी, प्रजनन तंत्र की गड़बड़ियों और मानसिक विकास में बाधा जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं. वहीं, कुछ फ्लेम रिटार्डेंट्स जैसे PBDEs और OPFRs को कैंसर, आईक्यू में गिरावट और विकास संबंधी समस्याओं से जोड़ा गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये केमिकल्स सिर्फ महंगे नहीं बल्कि किफायती गद्दों में भी पाए जाते हैं, इसलिए सिर्फ ब्रांड देखकर सेफ गद्दा चुनना संभव नहीं है.
क्या है सेफ ऑप्शन?यदि आप अपने बच्चे की सेहत को लेकर सजग हैं, तो कॉटन यानी सूती गद्दे अच्छे ऑप्शन हो सकते हैं. ये नेचुरल होते हैं, हाइपोएलर्जेनिक होते हैं और इनमें किसी तरह के केमिकल्स का प्रयोग नहीं किया जाता. हालांकि इनकी एक कमजोरी ये है कि ये समय के साथ दब सकते हैं, लेकिन सेहत के लिहाज से ये कहीं ज्यादा सेफ माने जाते हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.