भारत में डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy) अंधापन का एक प्रमुख और चिंताजनक कारण बनती जा रही है. अक्सर लोग लंबे समय तक शुगर कंट्रोल पर ध्यान तो देते हैं, लेकिन मौसम के बदलाव, खासकर तपती गर्मियों में, इसका कितना असर आंखों की सेहत पर पड़ता है, यह बहुत कम लोग समझते हैं. अगर आप डायबिटिक हैं और गर्मियों में लापरवाही बरतते हैं, तो आपकी आंखों की रोशनी खतरे में पड़ सकती है.
नोएडा स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसीन के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि गर्मियों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है, जिससे शरीर में डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी होना आम बात है. बुजुर्ग और डायबिटीज के मरीज अक्सर पर्याप्त पानी नहीं पीते, जिससे खून गाढ़ा हो जाता है और शरीर की नसों में उसका फ्लो कम हो जाता है. ऐसे में आंखों की रेटिना को खून की सप्लाई प्रभावित होती है और डायबिटिक रेटिनोपैथी तेजी से बढ़ सकती है.
गर्मी में ग्लूकोज लेवल में उतार-चढ़ावइसके अलावा गर्मियों में खानपान और डेली रूटीन भी पूरी तरह बदल जाती है. लोग ठंडे शुगर ड्रिंक जैसे शरबत, जूस, लस्सी आदि का ज्यादा सेवन करते हैं. गर्मी की वजह से भूख कम लगती है और फिजिकल एक्टिविटी भी घट जाती है. इन सबका नतीजा होता है- ग्लूकोज लेवल में उतार-चढ़ाव. यह अस्थिरता रेटिना की नसों को नुकसान पहुंचाती है, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ाती है और सूजन की स्थिति पैदा करती है, जिससे आंखों की सेहत और बिगड़ती है.
स्टडी क्या कहती है?NHANES 2005–2008 की स्टडी के अनुसार, पानी की कमी और अनियमित ब्लड शुगर लेवल डायबिटिक रेटिनोपैथी के खतरे को कई गुना बढ़ा सकते हैं. भारतीय शहरों में गर्मियों के दौरान HbA1c लेवल में बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है. इसलिए जरूरी है कि डायबिटीज के मरीज गर्मियों में अधिक सतर्क रहें. नियमित रूप से पानी पीएं, शुगर ड्रिंक्स से बचें, घर के अंदर ही सही, लेकिन शारीरिक गतिविधि बनाए रखें और समय पर भोजन करें. इसके साथ ही आंखों की नियमित जांच भी बेहद जरूरी है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.